HI/751223 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"वास्तविक जगत आध्यात्मिक जगत है, और यहां यह केवल एक प्रतिबिंब है। लेकिन हम मान रहे हैं कि यह वास्तविक जगत है, और आध्यात्मिक है, कोई आध्यात्मिक नहीं है। यथा भासः तथा तमो। तो शंकराचार्य ने कहा कि यह जगत झूठी है, जगत मिथ्या । तो, लेकिन ब्रह्म सत्य, उन्होंने वही जानकारी दी। लेकिन हम इस जगत सत्य को ले रहे हैं, और कोई आध्यात्मिक जगत नहीं है। यही दोष है। जैसे . . . (एक तरफ) यह ठीक है . . . मृगतृष्णा। मूर्ख जानवर रेगिस्तान में पानी की तलाश में जाता है, लेकिन वहां पानी नहीं है। वह भ्रमित हो जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कहीं और पानी नहीं है। पानी तो है, लेकिन यह मृगतृष्णा पानी झूठा है।" |
751223 - सुबह की सैर - बॉम्बे |