HI/760215 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760215SB-MAYAPUR_ND_01.mp3</mp3player>|"तो यह एक अवसर है, जीवन का यह मानवीय रूप, यह तय करने के लिए कि आप कहाँ जाना चाहते हैं। क्या आप नरक या स्वर्ग जा रहे हैं या घर वापस, या देवत्व वापस? यह आपको तय करना है। यह मानव बुद्धिमानी है, इस तरह नहीं की कुत्ते और बिल्ली की तरह काम करते रहें और कुत्ते और बिल्ली की तरह मर जाएँ । यह मानव जीवन नहीं है। मानव जीवन यह तय करने के लिए है कि आप आगे कहाँ जाना चाहते हैं। उद्विकासी प्रक्रिया से आप जीवन के इस मानव रूप में आए हैं। जलजा नव-लक्षाणि स्थावरा लक्ष-विंशति (पद्म पुराण)। जीवन की ऐसी कई, ८,४००,००० प्रजातियों से गुज़रने के बाद, आपको जीवन का यह मानव रूप मिला है। अब आप तय करते हैं कि आप कहाँ जाते हैं।"|Vanisource:760215 - Lecture SB 07.09.08 - Mayapur|760215 - प्रवचन SB 07.09.08 - मायापुर}}
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Latest revision as of 00:10, 13 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो यह एक अवसर है, जीवन का यह मानवीय रूप, यह तय करने के लिए कि आप कहाँ जाना चाहते हैं। क्या आप नरक या स्वर्ग जा रहे हैं या घर वापस, या देवत्व वापस? यह आपको तय करना है। यह मानव बुद्धिमानी है, इस तरह नहीं की कुत्ते और बिल्ली की तरह काम करते रहें और कुत्ते और बिल्ली की तरह मर जाएँ । यह मानव जीवन नहीं है। मानव जीवन यह तय करने के लिए है कि आप आगे कहाँ जाना चाहते हैं। उद्विकासी प्रक्रिया से आप जीवन के इस मानव रूप में आए हैं। जलजा नव-लक्षाणि स्थावरा लक्ष-विंशति (पद्म पुराण)। जीवन की ऐसी कई, ८,४००,००० प्रजातियों से गुज़रने के बाद, आपको जीवन का यह मानव रूप मिला है। अब आप तय करते हैं कि आप कहाँ जाना चाहते हैं।"
760215 - प्रवचन श्री.भा. ०७.०९.०८ - मायापुर