HI/760507 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 00:12, 13 September 2020 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि आप एक बहुत अच्छे फूल में रंग भरते हैं, तो आपको कितने श्रम की आवश्यकता होती है। फिर भी, यह प्राकृतिक फूल की तरह सुंदर नहीं हो सकता है। इसलिए ऐसा मत सोचो कि प्राकृतिक फूल अकस्मात आया है। नहीं। यह कृष्ण द्वारा हेरफेर की गई यन्त्र से किया गया था।। यह कृष्ण को समझना है। इसकी पुष्टि शाश्त्र में की गयी है, परस्य शक्तिर विविधैव श्रूयते (श्वेताश्वतर उपनिषद् ६.८)। परा, सर्वोच्च, उनकी शक्तियां बहु-शक्तियां हैं। वे कार्य कर रहें हैं, उसी तरह जिस तरह यन्त्र काम कर रहा है। आप एक व्यक्ति की शक्ति देख सकते हैं। जैसे आप हवाई जहाज देखते हैं: विमान-चालक वहां बैठा है, एक बटन दबा रहा है, तुरंत घूम रहा है, इतना बड़ा यन्त्र घूम रहा है, बस बटन दबाने से। तो यह शक्ति की व्यवस्था है। इसी तरह, पूरा भौतिक संसार सिर्फ एक बटन दबाने से काम कर रहा है, बटन दबाने से। यह मत सोचो कि यह स्वचालित रूप से या अकस्मात चल रहा है। यह सब धूर्तता है। हर जगह ईश्वर का हाथ है।"
760507 - प्रवचन श्री.भ. ०६.०१.०६ - होनोलूलू