HI/761017 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद चंडीगढ़ में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/761017LE-CHANDIGARH_ND_01.mp3</mp3player>|हम खोज रहे हैं कि क्या ईश्वर है या ईश्वर नहीं है। यदि ईश्वर है, तो उनकी प्रकृति क्या है?उनका रूप क्या है? वह व्यक्ति है या अवैयक्तिक? बहुत सारे सवाल हैं। और इन सभी प्रश्नों को हल करने के लिए, भगवान स्वयं आते हैं और स्वयं के बारे में बोलते हैं, और उनके यही बोल ही यह 'भगवद गीता' है। भगवान स्वयं के बारे में व्यक्तिगत रूप से बोले हैं, व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहकर। ताकि आप उनहें जान सकें, उनहें देख सकें, वे क्या हैं, उनका कार्य क्या है। बस हमारे सभी संदेहों को कम करने के लिए, भगवान स्वयं यहां मौजूद हैं।|Vanisource:761017 - Lecture and Conversation at Rotary Club - Chandigarh|761017 - प्रवचन and Conversation at Rotary Club - चंडीगढ़}}
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Latest revision as of 05:32, 3 February 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
हम खोज रहे हैं कि क्या ईश्वर है या ईश्वर नहीं है । यदि ईश्वर है, तो उनकी प्रकृति क्या है ? उनका रूप क्या है ? वह व्यक्ति हैं या निराकार ? बहुत सारे सवाल हैं । और इन सभी प्रश्नों को हल करने के लिए, भगवान स्वयं आते हैं और स्वयं के बारे में बोलते हैं, और उनके यह बोल ही 'भगवद गीता' है । भगवान स्वयं के बारे में व्यक्तिगत रूप से बताते हैं, व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रह कर , ताकि आप उन्हें जान सकें, उनका दर्शन कर सकें, वे क्या हैं, उनका कार्य क्या है । बस हमारे सभी संदेहों को कम करने के लिए, भगवान स्वयं यहां उपस्थित हैं ।
761017 - प्रवचन और रोटरी क्लब में बातचीत - चंडीगढ़