हम खोज रहे हैं कि क्या ईश्वर है या ईश्वर नहीं है। यदि ईश्वर है, तो उनकी प्रकृति क्या है?उनका रूप क्या है? वह व्यक्ति है या अवैयक्तिक? बहुत सारे सवाल हैं। और इन सभी प्रश्नों को हल करने के लिए, भगवान स्वयं आते हैं और स्वयं के बारे में बोलते हैं, और उनके यही बोल ही यह 'भगवद गीता' है। भगवान स्वयं के बारे में व्यक्तिगत रूप से बोले हैं, व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहकर। ताकि आप उनहें जान सकें, उनहें देख सकें, वे क्या हैं, उनका कार्य क्या है। बस हमारे सभी संदेहों को कम करने के लिए, भगवान स्वयं यहां मौजूद हैं।
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