HI/770124 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद भुवनेश्वर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(Vanibot #0019: LinkReviser - Revise links, localize and redirect them to the de facto address)
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७७]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७७]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - भुवनेश्वर]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - भुवनेश्वर]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/770124MW-BHUVANESVARA_ND_01.mp3</mp3player>|"यह सभ्यता सूकरौं की है, माता, बहन तथा किसी के भी साथ संभोग करके शक्ति प्राप्त करना, तथा कडा परिश्रम करना। यह भागवतम् में वर्णित है, मैंने नहीं बनाया है। नायं देहो देह भाजाम् नलोके कष्टान् कामान् अर्हते विद् भूजाम् ये ([[Vanisource:SB 5.5.1|SB 5.5.1]])। तथा यहाँ सभ्यता है। तपो दिव्यम्। बह्मचारी रहो, तपस्याएँ करो तथा अपना यह बद्ध-जीवन, जन्म- मरण, को सुधारो। यह मानव सभ्यता है। आप जन्म- मरण के अधीन क्यों हो? केवल एक जीवन बह्मचारी रहो तथा सभी प्रश्नों का हल करो। त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति। ([[Vanisource:BG 4.9 (1972)|BG 4.9]])."|Vanisource:770124 - Morning Walk - Bhuvanesvara|770124 - सुबह की सैर - भुवनेश्वर}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/770123 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद भुवनेश्वर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|770123|HI/770125 बातचीत - श्रील प्रभुपाद जगन्नाथ पुरी में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|770125}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/770124MW-BHUVANESVARA_ND_01.mp3</mp3player>|"यह सभ्यता सूकरौं की है, माता, बहन तथा किसी के भी साथ संभोग करके शक्ति प्राप्त करना, तथा कडा परिश्रम करना। यह भागवतम् में वर्णित है, मैंने नहीं बनाया है। नायं देहो देह भाजाम् नलोके कष्टान् कामान् अर्हते विद् भूजाम् ये ([[Vanisource:SB 5.5.1|SB 5.5.1]])। तथा यहाँ सभ्यता है। तपो दिव्यम्। बह्मचारी रहो, तपस्याएँ करो तथा अपना यह बद्ध-जीवन, जन्म- मरण, को सुधारो। यह मानव सभ्यता है। आप जन्म- मरण के अधीन क्यों हो? केवल एक जीवन बह्मचारी रहो तथा सभी प्रश्नों का हल करो। त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति। ([[HI/BG 4.9|BG 4.9]])."|Vanisource:770124 - Morning Walk - Bhuvanesvara|770124 - सुबह की सैर - भुवनेश्वर}}

Latest revision as of 17:53, 17 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह सभ्यता सूकरौं की है, माता, बहन तथा किसी के भी साथ संभोग करके शक्ति प्राप्त करना, तथा कडा परिश्रम करना। यह भागवतम् में वर्णित है, मैंने नहीं बनाया है। नायं देहो देह भाजाम् नलोके कष्टान् कामान् अर्हते विद् भूजाम् ये (SB 5.5.1)। तथा यहाँ सभ्यता है। तपो दिव्यम्। बह्मचारी रहो, तपस्याएँ करो तथा अपना यह बद्ध-जीवन, जन्म- मरण, को सुधारो। यह मानव सभ्यता है। आप जन्म- मरण के अधीन क्यों हो? केवल एक जीवन बह्मचारी रहो तथा सभी प्रश्नों का हल करो। त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति। (BG 4.9)."
770124 - सुबह की सैर - भुवनेश्वर