HI/770219 - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हमने इस त्रिदण्ड को स्वीकार किया है, भगवान कृष्ण की सेवा को स्वीकार किया है और उनका ये आदेश है की जो इस भगवद-गीता का प्रचार करेगा वो मेरा सबसे प्रिय सेवक बन जायेगा। और वे इस बात को अवश्य सिद्ध करेंगे। न च तस्मान्मनुष्येषु कश्चित (भ गी १८.६९)। इसलिए हम अपने स्वामी के प्रति बिलकुल वफादार रहना चाहते है। आप हमारा विरोध कर सकते है पर हम उसकी चिंता नहीं करते। जैसे की इसा मसीह ने क्रूस पर चढ़ा दिए जाने के बाद भी कोई शिकायत नहीं की। उसी तरह हम भी इस बात की परवा नहीं करते की आप बेवजह हमे प्रताड़ित कर रहे है। हम अपना कर्त्तव्य का पालन करते रहेंगे क्योंकि सेवा तो हम छोड़ नहीं सकते। यह नामुमकिन है। बस यही है।"
770219 - बातचीत - मायापुर