HI/770219b - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"गृहस्थ शिष्यों का कर्तव्य है अर्चा-विग्रह की सेवा करना और अन्य भक्तो का काम है प्रचार करना। यही प्राथमिक नियम है। विग्रह सेवा बिलकुल समय पर होना चाहिए: अभी ये सेवा, थोड़ी देर बाद कुछ और सेवा, फिर कुछ और। तब तो तुम्हारे लिए बहुत कठिन हो जायेगा। चैतन्य महाप्रभु ने ऎसा कभी नहीं किया। वे अकेले ही प्रचार कार्य हेतु भ्रमण करते थे। विग्रह को साथ में लेकर चलना तुम्हारे लिए बहुत बड़ा बोझ बन जाएगा। यदि अनेक भक्त एक साथ गाड़ी में प्रचार करने के लिए जा रहे हो तब विग्रह को साथ में ले जाना अच्छा है। कई लोग है इसलिए सबको सेवा करने का मौका मिलेगा। परन्तु विग्रह को लेकर अकेले यात्रा करना एक समस्या है। इससे तुम्हारे प्रचार कार्य में बाधा उत्पन्न होगा।"
770219 - बातचीत C - मायापुर