HI/770225d - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जब आप कृष्ण के पवित्र नामों का उच्चारण कर रहे है, तब ऐसा मत समझियेगा की ये तो केवल एक ध्वनि है और कृष्ण तो इससे भिन्न है। नहीं। अभिन्नत्वान। नाम-चिंतामणि कृष्णः। जैसे कृष्ण चिंतामणि है वैसे ही उनका नाम भी चिंतामणि है। नाम-चिंतामणि कृष्णश चैतन्य रस विग्रहः। चैतन्य , पूर्ण चेतना, नाम-चिंतामणि कृष्णः। आपको पता होना चाहिए की जब आप भगवान के नामों का संग कर रहे है, तब कृष्ण को आपकी सेवा के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान है। दरअसल आप हरिनाम के माध्यम से उनको सम्बोधित कर रहे है, "हे कृष्ण, हे राधारानी, मुझे कृपया अपनी सेवा में नियोजित करे।" हरे कृष्ण मंत्र का अर्थ है, "हे कृष्ण, हे राधारानी, हे शक्ति मुझे कृपया अपनी सेवा में नियोजित करे।"
770225 - प्रवचन श्री भ ७.९.५ - मायापुर