HI/770320 - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जब तक मै कृष्ण कि सेवा कर रहा हु, तब तक मै अत्युत्तम हु। अन्यथा मेरा कोई मूल्य नहीं। यदि मै कृष्ण कि सेवा कर सकता हु, तो मै अनोखा हु। परन्तु हमे सस्ता वाला अनोखा व्यक्ति नहीं बनना है। भगवान कि सेवा करने से हम वास्तविक रूप में अद्भुत बन सकते है। यही हमारा उद्देश्य है। कृष्ण तो अवश्य अद्भुत है। उनसे ज़्यादा उत्तम व्यक्ति और कौन हो सकता है? मत्तः परतरं नान्यत (भ गी ७.७). हमेशा याद रखना, कृष्ण अत्युत्तम है। उनको हम में से एक साधारण व्यक्ति जैसा मत समझना। कृष्ण सर्वदा अद्भुत है और वे कोई भी आश्चर्यजनक कार्य आसानी से कर सकते है।"
770320 - बातचीत - मायापुर