HI/770405b - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"इन दुष्टो को मालूम नहीं की प्रकृति कैसे काम करती है। प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि (भ.गी ३.२७). बस योजनाए बनाने में समय नष्ट करते है और यह बहुमूल्य मनुष्य जीवन व्यर्थ चला जाता है। हमने इस संस्था को लोगो में ज्ञान बाटने के लिए स्थापित किया है तो कम से कम भारत में इसे उत्तम श्रेणी का सहयोद मिलना चाहिए ताकि कुछ बुद्धिमान व्यक्ति लाभान्वित हो सके। वे सब मुर्ख और दुष्ट व्यक्ति है। वो इस ज्ञान को समझ नहीं सकते। न मां दुष्कृतिनो मूढा: प्रपद्यन्ते नराधमा:। यह पहले ही घोषित हो चुका है की नराधम इंसान कभी भी कृष्ण भावनामृत से जुड़ नहीं सकते।"
770405 - बातचीत C - बॉम्बे