HI/770511 - श्रील प्रभुपाद ऋषिकेश में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७७ Category:HI/अ...") |
No edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७७]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९७७]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - ऋषिकेश]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - ऋषिकेश]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/770511ED-HRISHIKESH_ND_01.mp3</mp3player>|"कोई भी प्रामाणिक व्यक्ति कभी ये नहीं कहेगा की वह भगवान है। यदि कोई ऎसा कहे तो वह सबसे बड़ा दुष्ट है। भगवान को इतना सस्ता नहीं समझना चाहिए। चैतन्य महाप्रभु ने ऎसा कभी नहीं कहा। वे स्वयं को दासों के दासों का दास मानते थे। गोपी भर्तुः पद कमलयोर दास-दास-दासानुदासः ([[Vanisource:CC Madhya 13.80|सी.सी मध्य १३.८०]]) | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/770511ED-HRISHIKESH_ND_01.mp3</mp3player>|"कोई भी प्रामाणिक व्यक्ति कभी ये नहीं कहेगा की वह भगवान है। यदि कोई ऎसा कहे तो वह सबसे बड़ा दुष्ट है। भगवान को इतना सस्ता नहीं समझना चाहिए। चैतन्य महाप्रभु ने ऎसा कभी नहीं कहा। वे स्वयं को दासों के दासों का दास मानते थे। गोपी भर्तुः पद कमलयोर दास-दास-दासानुदासः ([[Vanisource:CC Madhya 13.80|सी.सी मध्य १३.८०]])। बिलकुल सौ कदम पीछे। और यही असली पेहचान है। जैसे ही कोई व्यक्ति कहता है की वह भगवान है, उसी क्षण हमे समझना चाहिए की वो पागल है। वह भगवान का अंश है। यही वास्तविक सत्य है।"|Vanisource:770511 - Conversation - Hrishikesh|770511 - बातचीत - ऋषिकेश}} |
Latest revision as of 14:14, 3 February 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"कोई भी प्रामाणिक व्यक्ति कभी ये नहीं कहेगा की वह भगवान है। यदि कोई ऎसा कहे तो वह सबसे बड़ा दुष्ट है। भगवान को इतना सस्ता नहीं समझना चाहिए। चैतन्य महाप्रभु ने ऎसा कभी नहीं कहा। वे स्वयं को दासों के दासों का दास मानते थे। गोपी भर्तुः पद कमलयोर दास-दास-दासानुदासः (सी.सी मध्य १३.८०)। बिलकुल सौ कदम पीछे। और यही असली पेहचान है। जैसे ही कोई व्यक्ति कहता है की वह भगवान है, उसी क्षण हमे समझना चाहिए की वो पागल है। वह भगवान का अंश है। यही वास्तविक सत्य है।" |
770511 - बातचीत - ऋषिकेश |