HI/770513 - श्रील प्रभुपाद ऋषिकेश में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"योगी कई प्रकार के होते है परंतु कृष्ण के अनुसार, "समस्त महान योगियों में सबसे उत्कृष्ट वही होता है जो निरन्तर हरे कृष्ण महामंत्र का जप करता है और मेरा चिंतन करता है।" ये कृष्ण कहते है, मै नहीं। अतः ये प्रामाणिक वाक्य है। कृष्ण भावनामृत के बिना, सारी अलौकिक शक्तियाँ केवल क्षण-भर का जादू है। लेकिन कृष्ण कहते है, "जो सर्वदा मेरा स्मरण करते है," सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढ व्रताः (भ.गी ९.१४), "वही उत्तम योगी है।"
770513 - बातचीत - ऋषिकेश