HI/Prabhupada 0217 - देवहुति का पद एक आदर्श महिला का पद है
Lecture on SB 3.28.1 -- Honolulu, June 1, 1975
तो यह राजकुमारी, मतलब मनु की बेटी, वह करदम मुनि की सेवा करने लगी । और योग आश्रम में, यह एक झोपड़ी थी, और कोई अच्छा भोजन नहीं था, कोई दासी नहीं थी, इस तरह का कुछ भी नहीं । तो धीरे - धीरे बहुत दुबली और पतली हो गई, और वह राजा की बेटी बहुत खूबसूरत थी । तो करदम मुनि नें सोचा कि "उसके पिता ने उसे मुझे दिया है, और वह उसकी सुंदरता में, उसके स्वास्थ्य में खराब होती जा रही है । तो पति के रूप में, मुझे उसके लिए कुछ करना होगा । " तो योग शक्ति से उन्होंने एक बड़े हवाई जहाज का निर्माण किया । यही योग शक्ति है । न की 747 । (हंसी) एक इतना बड़ा शहर, झील था, उद्यान था, दासी थी, बड़े, बड़े महल, और पूरा शहर आकाश में उड रहा था, और उन्होंने उसे अलग अलग ग्रह दिखाए । इस तरह ... चौथे अध्याय में कहा गया है, तुम इसे पढ़ सकते हो । तो एक योगी के रूप में उन्होंने हर मामले में उसे संतुष्ट किया । और फिर उसे बच्चों को चाहत थी । तो करदम मुनि के साथ उसके नौ बेटे और एक बेटी हुई, इस वादे के साथ कि, "जैसे ही तुम्हे अपने बच्चे मिलते हैं, मैं चला जाऊँगा ।" मैं तुम्हरे साथ हमेशा के लिए नहीं रहूँगा ।" तो वह राजी हो गई । तो बच्चों के मिलने के बाद जिनमें से ये कपिलदेव एक थे, बेटा, अौर जब वह बड़े हो गए उन्होंने भी यह कहा कि" मेरी प्रिय मां, मेरे पिता घर छोड़ कर चले गए हैं । मैं भी घर छोड़ दूँगा ।" अगर तुम मुझ से कुछ शिक्षा लेना चाहती हो तो तुम ले सकती हो । फिर मैं चला जाऊँगा ।" तो जाने से पहले उन्होंने अपनी माँ को उपदेश दिया ।
अब, यह देवाहुति की स्थिति एक आदर्श महिला है । उसे अच्छे पिता मिले, अच्छे पति मिले, और उत्कृष्ट बेटा मिला । तो औरत के जीवन में तीन चरण हैं । अादमी के दस चरणों हैं । इन तीन चरणों का मतलब है कि जब वह छोटी है, उसे पिता के संरक्षण के तहत जीना चाहिए । जैसे देवहूति की तरह, जब वह बड़ी हो गई, युवा, उसने अपने पिता से कहा कि "मैं शादी करना चाहती हूँ उस सज्जन से, उस योगी से। " और पिता नें भी पेशकश की । तो, जब तक उसकी शादी नहीं हुई वह अपने पिता के संरक्षण के अंतर्गत बनी रही । और जब वह शादीशुदा थी वह योगी पति के साथ रही । अौर वह कई मायनों में परेशान थी क्योंकि वह राजकुमारी थी, राजा की बेटी थी । और यह योगी, वह एक झोपड़ी में था, खाना नहीं, कोई आश्रय नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं । इसलिए उसे भुगतना पड़ा । उसने कभी नहीं कहा कि "मैं राजा की बेटी हूँ । मैं जीवन के इतने एशो अाराम में पली बडी हूँ । अब मुझे एक एसा पति मिल गया है जो मुझे एक अच्छा घर, अच्छा भोजन नहीं दे सकता है । उसे तलाक दो । " नहीं । यह कभी नहीं किया गया था । यह स्थिति नहीं है । " मेरा पति, वह जो कुछ भी है , क्योंकि मैंने अपने पति के रूप में एक सज्जन को स्वीकार किया है , मुझे उसके आराम के लिए विचार करना चाहिए, और जो कुछ भी उसकी स्थिति है, कोई बात नहीं । " यही महिला का कर्तव्य है । लेकिन यह वैदिक शिक्षा है । आजकल, जैसे ही थोड़ा विसंगति, असहमति होती है - तलाक । एक और पति का पता लगाअो । नहीं । वह बनी रही । और फिर उसे सबसे अच्छा बच्चा हुअा, देवत्व के व्यक्तित्व, कपिल । तो यह तीन चरण हैं । महिला को कामना करनी चाहिए ... सबसे पहले, अपने कर्म से वह एक उपयुक्त पिता के तहत अाती है । और फिर उपयुक्त पति के तहत, और फिर एक अच्छे बच्चे को पैदा करती है जैसे कपिलदेव ।