HI/Prabhupada 0292 - ज्ञान से परम भगवान का पता लगाना

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Lecture -- Seattle, October 4, 1968

प्रभुपाद: गोविन्दम आदि-पुरुशम् तम अहम् भजामि।

भक्त जन: गोविन्दम आदि-पुरुशम् तम अहम् भजामि।

प्रभुपाद: कोई उसकी मदद कर रहा है? हाँ, यह सब है ... इसलिए हम मूल व्यक्ति को कब्जा करने में रुचि रखते हैं। (हंसी) हम किसी अधीनस्थ के साथ कोई दिलचस्पी नहीं रखते हैं। गोविन्दम आदि-पुरुशम् । अगर हम मूल व्यक्ति को कब्जा कर सकते हैं, तो वह हर किसी को कब्जा कर लेगा। जैसे उसी उदाहरण की तरह। वेदों में यह कहा जाता है, उपनिषद में : यस्मीन विज्ञाते सर्वम् एवं विज्ञातम् भवन्ति । अगर तुम देवत्व या निरपेक्ष सत्य के परम व्यक्तित्व को समझ सकते हो, तो तुम सब कुछ समझ सकते हो। अलग से समझने की कोई जरूरत नहीं है। यस्मीन विज्ञाते सर्वम् एवं विज्ञातम् भवन्ति । इसी तरह, भगवद गीता भी यह कहा जाता है,

यम् लबध्वा चापरम् लाभम्म
न्यते नाधिकम् तत:
यस्मिन् स्थितो न दुखेन
गुरुनापि विचाल्यते
(भ गी ६।२०-२३)

अब हम सब, जीवन के कुछ मानक खोज रहे हैं जहां कोई चिंता नहीं होगी यही हर किसी का उद्देश्य है। हम क्यों संघर्ष कर रहे हैं? हम एक निश्चित बिंदु की अोर बढने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे दो पार्टियों फुटबॉल खेल रहे हैं, वे, उनमें से हर एक, लक्ष्य की अोर बढने की कोशिश कर रहा है। यही जीत है। तो हर कोई कुछ हासिल करने के लिए कोशिश कर रहा है, अपने अलग स्थिति के अनुसार, अलग विचार के अनुसार। हर कोई एक ही बात नहीं खोज कर रहा है। कोई भौतिक खुशी खोज रहा है, कोई नशा खोज रहा है, कोई सेक्स खोज रहा है, कोई पैसा खोज रहा है, कोई ज्ञान खोज रहा है, कोऊ इतनी सारी बातों को खोज रहा है। लेकिन, एक बात है। अगर हम यह प्राप्त कर सकते हैं, पूर्णता को प्राप्त कर सकें, तो हम संतुष्ट हो जाएँगे और हम कहेंगे कि "हमें कुछ भी नहीं चािए ।" स्वामिन् कृतार्थो अस्मि वरम् न याचे (चै च मध्य २२।४२)। ऐसे कई उदाहरण है। तो वहाँ उस तरह है, और वह कृष्ण है। तुम अगार केवल कृष्ण को समझ सकते हो, तो फिर तुम्हारा ज्ञान परिपूर्ण है, तो तुम सब कुछ समझ सकते हो। तुम विज्ञान को समझते हो, तुम गणित समझते हो, तुम रसायन शास्त्र, भौतिकी, समझते हो, खगोल विज्ञान, दर्शन, साहित्य, सब कुछ। यह बहुत अच्छा है। तो भागवत इसलिए कहता है कि सम्सिद्धिर हरि-तोशनम् (श्री भ १।२।१३) । जो भी ज्ञान का विभाग या जो भी गतिविधियों का विभाग तुम लगे हुए हैं, कोई बात नहीं है। लेकिन अगर तुम ज्ञान से परम का पता लगा सकते हो, वही पूर्णता है। तुम एक वैज्ञानिक हो, ठीक है, कोई बात नहीं है। वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य करके तुम परम का पता लगाना। तो यह तुम्हारी पूर्णता है। तुम व्यापारी हो? ओह। अपने पैसे के साथ परम का पता लगाअो। तुम एक प्रेमी हो? बस सर्वोच्च प्रेमी का पता लगाअो। तुम स्वाद के पीछे हो, सौंदर्यात्मक, या ... नास्तिकता नहीं - सौंदर्यात्मक बोध, स्वाद, सौंदर्य, अगर तुम परम का पता लगाअो, तुम्हारे सौंदर्य की खोज संतुष्ट हो जाएगी। सब कुछ। कृष्ण, यही कृष्ण है। कृष्ण का मतलब है सर्व आकर्षक। तुम कुछ खोज रहे हो । यदि तुम्हे कृष्ण मिले, तो तुम लक्ष्य को प्राप्त कर लोगे। इसलिए उसका नाम कृष्ण है।