HI/Prabhupada 0410 - हमारे दोस्त हैं, वे पहले से ही अनुवाद करने में लगे हैं

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Cornerstone Laying -- Bombay, January 23, 1975

कुरुक्षेत्र अभी भी धर्म-क्षेत्र है । वेदों में यह कहा गया है कुरुक्षेत्र धर्मम अाचरेत : " हमें कुरुक्षेत्र जाना चाहिए और धार्मिक अनुष्ठान करना चाहिए ।" इसलिए यह अति प्राचीन काल से धर्म-क्षेत्र है । और क्यों हम इसकी व्याख्या करें " यह कुरुक्षेत्र का मतलब है यह शरीर, धर्मक्षेत्र, यह शरीर? क्यों? क्यों लोगों को गुमराह करें? इस गुमराह करना बंद करो । और कुरुक्षेत्र अभी भी है । कुरुक्षेत्र स्टेशन, रेलवे स्टेशन, वहाँ है । तो भगवद गीता को समझने की कोशिश करो, अपने जीवन को सफल बनाने के लिए, और दुनिया भर में यह संदेश प्रसारित करो । तुम खुश रहोगे, दुनिया खुश रहेगी । बेशक, मैं अब बहुत बूढ़ा आदमी हूँ । मैं अस्सी वर्ष का हूँ । मेरा जीवन समाप्त हो गया है । लेकिन मैं चाहता हूँ कि कोई जिम्मेदार भारतीय और संयुक्त दूसरे देशों के साथ ... अन्य देश, वे अच्छा सहयोग दे रहे हैं । अन्यथा इतने कम समय में प्रसार करना मेरे लिए ह संभव नहीं था, केवल सात या आठ साल, पूरी दुनिया में इस पंथ के प्रचार के लिए । तो मुझे भारतीयों के सहयोग की आवश्यकता है, विशेष रूप से युवा पुरुषों, शिक्षित पुरुषों की । आगे आओ । हमारे साथ रहो । अध्ययन करो भगवद गीता का । हमें निर्माण करने की अावशयक्ता नही है । निर्माण करने के लिए कुछ भी नहीं है । और हम क्या निर्माण कर सकते हैं? हम सब अपूर्ण हैं । यहां जो कुछ भी है, हमें उसका अध्ययन करना है और व्यावहारिक जीवन में लागू करना है, और दुनिया भर में संदेश फैलाना है । यह हमारा मिशन है । तो आज बहुत शुभ दिन है । बहुत मुश्किल से हमें अब मंजूरी मिल गई है । अब इस प्रयास के साथ सहयोग करें, जहाँ तक हो सके अपने प्रानैर अर्थैर धिया वाचा, चार बातें : अपने जीवन से, अपने शब्दों से, अपने पैसे से ... प्रानैर अर्थैर धिया वाचा श्रेय-अाचरनम् सदा । यह मानव जीवन का मिशन है । तुम्हारे पास जो कुछ भी ... यह नहीं है कि, " क्योंकि मैं गरीब आदमी हूं, मैं इस आंदोलन की मदद नहीं कर सकता ।" नहीं, अगर तुम्हे मिला है ... तुम्हे अपना जीवन मिला है । तो अगर तुम अपने जीवन को समर्पित करते हो, तो वह सही है । अगर तुम अपने जीवन को समर्पित नहीं कर सकते हो, कुछ पैसे दो । लेकिन अगर तुम कर सकते हो ..., गरीब आदमी, तुम पैसे नहीं दे सकते हो, तो तुम अपनी बुद्धि दो । अौर अगर तुम मूर्ख हो, तो तुम अपने शब्दों को दो । तो किसी भी तरह से, तुम इस आंदोलन की मदद कर सकते हो, और कल्याण गतिविधियों को कर सकते हो, भारत के लिए और भारत के बाहर । तो यह मेरा अनुरोध है । मैं आप का स्वागत करता हँ । बेशक, आज एकादशी है । हम, ज्यादातर हम उपवास कर रहे हैं । कुछ प्रसादम दिया जाएगा । तो यह प्रसादम का सवाल नहीं है, यह महत्वपूर्ण काम का सवाल है जो हमने अपने हाथ में लिया है, कैसे एक भगवान भावनामृत आंदोलन का प्रसार करें । अन्यथा, तुम कभी खुश नहीं रहोगे । बस भौतिक चेतना, गृह-क्षेत्र.. अतो गृह-क्षेत्र-सुताप्त-वितैर जनस्य मोहो अयम अहम ममेति (श्री भ ५।५।८) इस भौतिक सभ्यता का मतलब है सेक्स इच्छा । औरत आदमी का शिकार करती है, आदमी औरत का शिकार करता है । पुम्स: स्त्रिया मिथुनी-भावम एताम तयोर मिथ: और जैसे ही वे एकजुट होते हैं, उन्हे मकान की आवश्यकता होती है, गृह, भूमि: गृह-क्षेत्रे-सुत, बच्चे, मित्र, पैसा, और मोहो, भ्रम, अहम् ममेति (श्री भ ५।५।८), "यह मैं हूँ, यह मेरा है । " यह भौतिक सभ्यता है । लेकिन मानव जीवन का मतलब यह नहीं है । नायम देहो देह-भाजाम न्रलोके कश्टान कामान अर्हते विद_भुगाम ये (श्री भ ५।५।१) तो तुम अध्ययन करो । हमारे पास अब काफी किताबें है। हमारे पुस्तकों का अध्ययन करने के लिए कोई कठिनाई नहीं है । हम अंग्रेजी अनुवाद दिया है । हर कोई, कोई भी सज्जन, अंग्रेजी जानता है । और हम सब अन्य भाषाओं में गुजराती में, हिंदी में देने जा रहे हैं । हमारे दोस्त हैं, वे पहले से ही अनुवाद करने में लगे हैं । तो ज्ञान की कोई कमी नहीं होगी । कृपया यहाँ अाऍ, सप्ताह में कम से कम एक दिन बैठें, इन सभी पुस्तकों का अध्ययन करें, जीवन के तत्वज्ञान को समझने की कोशिश करें, और पूरी दुनिया में फैलाऍ । यही भारतवर्ष का मिशन है । भारत-भूमिते मनुष्य-जन्म हौल यार जन्म सार्थक करि कर पर-उपकार :(चै च अदि ९।४१) यह परोपकार आंदोलन है, दूसरों के लिए कल्याण करना, बिल्लियों और कुत्तों की तरह नहीं, सिर्फ पैसे लाना और इन्द्रियों का आनंद लेना । यह मानव जीवन नहीं है । मानव जीवन परोप्कार के लिए है । लोग अज्ञान में हैं, भगवान के किसी भी ज्ञान के बिना, जीवन के आदर्श के बिना । वे केवल बिल्लियों और कुत्तों और सूअर की तरह काम कर रहे हैं । इसलिए उन्हे शिक्षित किया जाना चाहिए । मानव जीवन शिक्षा प्राप्त करने का एक मौका है । तो यह मानव समाज को शिक्षित करने के लिए केंद्र है, वास्तव में इंसान बनने के लिए, और अपने जीवन को सफल बनाने के लिए । बहुत बहुत धन्यवाद । हरे कृष्ण ।