HI/Prabhupada 0477 - हमने धार्मिक संप्रदाय या तत्वज्ञान की विधि का एक नया प्रकार निर्मित नहीं किया है

Revision as of 20:32, 22 July 2015 by Rishab (talk | contribs) (Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Hindi Pages with Videos Category:Prabhupada 0477 - in all Languages Category:HI-Quotes - 1968 Category:HI-Quotes - Lec...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)


Invalid source, must be from amazon or causelessmery.com

Lecture -- Seattle, October 7, 1968

इसलिए हमारा, यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन, बहुत मुश्किल नहीं है, या तो समझने के लिए या निष्पादित करने के लिए । बस हमें ऐसा करने के लिए तैयार होना चाहिए । बस । यह तैयारी अापके हाथ में है । अगर अाप चाहो, तो अाप इसे स्वीकार कर सकते हैं । क्योंकि अापको थोड़ी स्वतंत्रता मिली है कुछ स्वीकार करने के लिए या कुछ अस्वीकार करने के लिए । यह स्वतंत्रता अापको मिली है । और कुछ अच्छा अस्वीकार करके, हम संकट में हैं, और कुछ अच्छा स्वीकार करके, हम खुश हैं । तो यह स्वीकृति और अस्वीकृति अापके हाथ में है । तो यहाँ प्रस्तुति है, कृष्ण भावनामृत, महान अधिकारियों द्वारा, भगवान श्री कृष्ण द्वारा, चैतन्य महाप्रभु द्वारा, और हम केवल विनम्र सेवक हैं । हम बस वितरण कर रहे हैं । हमने धार्मिक संप्रदाय या तत्वज्ञान की विधि का एक नए प्रकार निर्मित नहीं किया है । नहीं । यह बहुत, बहुत पुरानी व्यवस्था है, कृष्ण भावनामृत । बस हम वितरित करने के लिए कोशिश कर रहे हैं, एसी प्रक्रिया से जो सामान्य रूप में लोगों द्वारा स्वीकार किया जा सकता है । तो अाप सभी से हमारा अनुरोध है, जो यहाँ मौजूद हैं या जो यहां मौजूद नहीं हैं, आप इस कृष्ण चेतना आंदोलन को समझने की कोशिश करें, और अगर आप तुरंत समझ नहीं पाते हैं, तो आप कृपया हमारे साथ संबद्ध बनाऍ, अपने सवाल रखें, समझने की कोशिश करें । हम नहीं कहते हैं कि आप आँख बंद करके इसे स्वीकार करें । अपना सवाल रखें, समझने की कोशिश करें, हमारे साहित्य को पढ़ें, और आप समझ जाऍगे । इसके बारे में कोई संदेह नहीं है । और आप इसे अपना लेंगे । अौर अगर आप इसे अपनाते हैं, तो आप खुश होंगे । अन्य प्रक्रियाओं में ... जैसे एक राजनीतिक पंथ की तरह । जब तक यह राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार नहीं किया जाता है ... वैसे ही जैसे हर देश में इतनी सारी राजनीतिक पार्टियों हैं । हर कोई सबसे आगे पार्टी की राजनीति लाने के लिए कोशिश कर रहा है क्योंकि नेता सफल नहीं हो सकता है जब तक पूरा देश उसके तत्वज्ञान को स्वीकार नहीं करता है, उसकी पार्टी को । लेकिन कृष्ण भावनामृत इतना अच्छा है उसे आवश्यकता नहीं होती है कि एक समुदाय या एक राष्ट्र या एक परिवार या किसी भी समूह को इसे स्वीकार करना पड़े, तो ही आप खुश हो सकते हैं । नहीं । व्यक्तिगत रूप से, अगर आप स्वीकार करते हैं । अगर अापका परिवार स्वीकार नहीं करता है, अापका समुदाय स्वीकार नहीं करता है, अापका देश स्वीकार नहीं करता है, तो कोई बात नहीं है । तुम खुश हो जाअोगे । लेकिन अगर अापका परिवार स्वीकार करता है, अापका समुदाय स्वीकार करता है, अापका राष्ट्र ... आप अधिक खुश हो जाअोगे । तो, क्योंकि यह पूर्ण है, स्वतंत्र, तो जो कोई भी व्यक्ति कृष्ण भावनमृत को अपनाता है वह तुरंत खुश हो जाएगा । तो हम आपको आमंत्रित करते हैं । हमारी कक्षाऍ हैं, हमारे विभिन्न शहरों में विभिन्न शाखाऍ हैं, हमारी किताबें हैं, हमारी पत्रिकाऍ हैं, और हम आप को समझाने की कोशिश करते हैं अपने सुबह और शाम की कक्षाओं से । तो मेरा विनम्र अनुरोध है आप सब से कि अाप समझने की कोशिश करें । चैत्नयेर दया कथा करह विचार हम अापके समझने के लिए अपना पक्ष रखते हैं । हम अपने निर्णय के लिए आपके सामने इस कृष्ण भावनामृत को रखते हैं । और अगर आप सूक्ष्म परीक्षण करें, और समझने की कोशिश करें, तो आपको महसूस होगा "ओह, यह इतनी महान है । यह बहुत अच्छा है ।" यह हमारा अनुरोध है ।

बहुत बहुत धन्यवाद ।