HI/Prabhupada 0482 - मन अासक्त होने का वाहन है

Revision as of 17:43, 1 October 2020 by Elad (talk | contribs) (Text replacement - "(<!-- (BEGIN|END) NAVIGATION (.*?) -->\s*){2,15}" to "<!-- $2 NAVIGATION $3 -->")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)


Lecture -- Seattle, October 18, 1968

मन अासक्त होने का वाहन है । अगर तुम किसी से अासक्त हो, कोई लड़का, कोई लड़की, किसी व्यक्ति से ... आम तौर पर, हम किसी व्यक्ति से अासक्त होते हैं । अवैयक्तिक लगाव फर्जी बात है । अगर तुम जुडना चाहते हो, तो वह लगाव व्यक्तिगत होना चाहिए । क्या यह एक तथ्य नहीं है? अवैयक्तिक लगाव ... तुम आकाश से प्यार नहीं कर सकते, लेकिन तुम सूर्य से प्यार कर सकते हो, तुम चाँद से प्यार कर सकते हो, तुम सितारों से प्यार कर सकते हो, क्योंकि वे स्थानीयकृत व्यक्ति हैं । अौर अगर तुम आकाश से प्यार करना चाहते हो, तो यह तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है । तुम्हे इस सूर्य पर फिर से आना होगा ।

तो योग प्रणाली, पूर्णता में ख्तम होती है, प्यार में.. तो तु्म्हे किसी को प्यार करना है, व्यक्ति को । यही श्री कृष्ण हैं । जैसे यहाँ एक तस्वीर है । राधारानी कृष्ण को प्रेम कर रहीं हैं और कृष्ण को अपने फूल पेश कर रही हैं, और श्री कृष्ण अपनी बांसुरी बजा रहे हैं । तो तुम इस चित्र के बारे में सोच सकते हो अच्छी तरह से, हमेशा । तो फिर तुम योग में लगातार रहोगे, समाधि में । क्यों अवैयक्तिक? क्यों तुम कुछ, कुछ शून्य ? शून्य नहीं हो सकता है । अगर तुम कुछ शून्य सोचते हो, तो कुछ हलका मिलेगा, कुछ रंगीन, बहुत सी बातें हमें मिलेंगी । लेकिन वह भी रूप है । कैसे तुम रूप से बच सकते हो? यह संभव नहीं है ।

इसलिए तुम क्यों असली रूप पर अपने मन का ध्यान केंद्रित नहीं करते हो, ईश्वर: परम: कृष्ण: सच-चिद-अानन्द विग्रह: (ब्रह्मसंहिता ५.१), पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान, नियंत्रक, सर्वोच्च नियंत्रक, जिनका शरीर है? कैसे? विग्रह:, विग्रह: का मतलब है शरीर । और किस तरह का शरीर? सच-चिद-आनंद, अनन्त शरीर, ज्ञान से पूर्ण, आनंद से भरा हुअा । एसा शरीर । इस तरह का शरीर नहीं, एसा नहीं । यह शरीर, अज्ञान से भरा, दुख से भरा है, और शाश्वत नहीं है । बिलकुल विपरीत । उनका शरीर शाश्वत है, मेरा शरीर शाश्वत नहीं है । उनका शरीर आनंद से भरा हुआ है, मेरा शरीर दुख से भरा है, हमेशा मुझे कुछ परेशान कर रहा है- सिर दर्द, दांत दर्द, यह दर्द, वह दर्द । कोई मुझे व्यक्तिगत परेशानी दे रहा है । तो कई ... आध्यात्मिक, अधीभौतिक, गंभीर गर्मी, कड़ाके की ठंड, इतनी सारी चीजें । यह शरीर तिगुने दुख में हमेशा है, यह भौतिक शरीर ।