HI/Prabhupada 0564 - मैं कहता हूँ "भगवान के अादेश का पालन करें ।" यही मेरा मिशन है

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Press Interview -- December 30, 1968, Los Angeles

पत्रकार: मैं परिहास में आपको ये सवाल नहीं पूछ रहा हूँ । कृपया समझें । अापकी व्याख्या, या सिद्धांत में कैसे अलग हैं, बुनियादी यहूदी ईसाई नीति से दस आज्ञाओं के तहत? यह कैसे अलग है?

प्रभुपाद: कोई अंतर नहीं है ।

पत्रकार: ठीक है । अगर ऐसी बात है तो फिर आप क्या पेश कर सकते हैं ... जब मैं कहता हूँ "आप" मेरा यह मतलब है (अस्पष्ट) ।

प्रभुपाद: हाँ, हाँ ।

पत्रकार: असल में, क्या आप पेश कर सकते हैं जो कि ईसाई लोकाचार या यहूदी लोकाचार की तुलना में अलग है ?

प्रभुपाद:, क्योंकि, जैसा की मैंने अापसे कहा, कि उनमें से कोई भी सख्ती से भगवान की आज्ञा का पालन नहीं कर रहे हैं । मैं बस कहता हूँ "अाप भगवान की आज्ञा का पालन करें ।" यही मेरा संदेश है ।

पत्रकार: दूसरे शब्दों में, 'आप इन सिद्धांतों का पालन करें ।"

प्रभुपाद: हाँ । मैं यह नहीं कहता कि "अाप ईसाई बनो, अप हिन्दू बनो या अाप मेरे पास आअो ।" मैं बस कहता हूँ "आप इन आज्ञाओं का पालन करें ।" यही मेरा आदेश है । मैं आपको बेहतर ईसाई बनाता हूँ । यही मेरा मिशन है । मैं यह नहीं कहता कि "भगवान वहाँ नहीं है, भगवान यहाँ है," लेकिन मैं बस यह कहता हूँ कि "आप भगवान के अादेश का पालन करें ।" यही मेरा मिशन है । मैं यह नहीं कहता कि आपको इस स्तर पर आना होगा और कृष्ण को स्वीकार करना होगा भगवान के रूप में अौर किसी अौर को नहीं । नहीं । मैं नहीं कहता । मैं कहता हूँ "भगवान के अादेश का पालन करें । भगवान से प्रेम करने का प्रयास करें ।" यही मेरा मिशन है ।

पत्रकार: लेकिन फिर ...

प्रभुपाद: और मैं भगवान से कैसे प्रेम करना है वह रास्ता देता हूँ । बहुत आसानी से, कैसे प्रेम करना है, आप सहमत हों तो ।

पत्रकार: ठीक है, फिर से हम वापस इस...

प्रभुपाद: तो व्यावहारिक रूप से आप देखो कि मुझे कोई फर्क नहीं है ।

पत्रकार: हाँ, मैं समझता हूँ । मैं सराहना करता हूँ ।

प्रभुपाद: हाँ । आप भगवान में विश्वास करते हैं, मैं भगवान में विश्वास करता हूँ । मैं बस कहता हूँ, "आप भगवान से प्रेम करने का प्रयास करें ।"

पत्रकार: ठीक है, मैं .. मैं अभी भी.... एसा नहीं है कि मैं उलझन में हूँ । आप समझ रहा हूँ कि अाप क्या कह रहे हैं......

प्रभुपाद: अभी भी अाप भ्रमित हैं >

पत्रकार: नहीं, नहीं, मैं समझता हूँ कि अाप क्या कह रहे हैं । क्या मुझे उलझन में डाल रहा है या यह बनाता है ... जब मैं कहता हूँ, मैं, और हमारे इतने पाठक हैं. ... क्यों यह है ...? मुझे फिर से सवाल पूछने दें । मुझे फिर से पूछने दें ताकि शायद मेरे दिमाग में स्पष्ट जो जाए । मैं अापके मुंह में शब्द डालना नहीं चाहता, लेकिन मुझे इस तरह से कहने दें । आप कह रहे हैं कि अगर अापका मिशन और यहूदी, ईसाईयों का मिशन, पश्चिमी नैतिक, एक ही हैें मुझे फिर से वही सवाल पूछने दें, ऐसा क्यों है कि सामान्य रूप में युवा लोग को या लोग, मोहित नहीं हैं । पूर्वी धर्म की ओर जाने की कोशिश कर रहे हैं, अगर उसका उद्देश्य या आधार पश्चिमी धर्म के समान ही है तो । तो क्यों वे पूर्वी की ओर जा रहे हैं अगर आधार वही है ?

प्रभुपाद: क्योंकि ये ईसाई लोग, वे व्यावहारिक रूप से उन्हें पढा नहीं रहे हैं । मैं व्यावहारिक रूप से उन्हें पढ़ा रहा हूँ ।

पत्रकार: दूसरे शब्दों में, आप उन्हें पढा रहे हैं जो आपको लगता है कि व्यावहारिक है, दैनिक, मनुष्य की आत्मा की इस पूर्ति प्राप्त करने की दैनिक विधि ।

प्रभुपाद: हाँ । कैसे....देवत्व के प्रम को बाइबिल या पुराने नियम और गीता में सिखाया जा रहा है, यह ठीक है लेकिन आप कैसे भगवान से प्रेम करना है यह उन्हें नहीं पढा रहे हैं । मैं पढा रहा हूँ कि कैसे भगवान से प्रेम करना चाहिए । यह अंतर है । इसलिए युवा लोग आकर्षित हो रहे हैं ।

पत्रकार: ठीक है । तो अंत वही है । वहाँ पहुँचने की विधि का सवाल है ।

प्रभुपाद: विधि नहीं । तुम अनुसरन कर ही नहीं रहे, विधि भी नहीं है । जैसे मैं कहता हूँ, विधि तो है, "मत मारो", और आप मार रहे हैं ।

पत्रकार: अच्छा, मैं समझ रहा हूँ, लेकिन अपने ... अंत वही है । आपका अंत ...

प्रभुपाद: अंत वही है ।

पत्रकार: वही है, लेकिन यह विधि ... प्रभुपाद विधि भी वही है, लेकिन वे विधि का पालन करने के लिए लोगों को उपदेश नहीं दे रहे हैं । मैं व्यावहारिक रूप से कैसे पालन करना है और कैसे यह करना है पढा रहा हूँ ।