HI/Prabhupada 0565 - उन्हें मैं प्रशिक्षण दे रहा हूँ कि कैसे इंद्रियों को नियंत्रित करना है

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Press Interview -- December 30, 1968, Los Angeles

पत्रकार: मुझे अापसे कुछ पूछना है जो हमने हाल ही में बहुत ज्यादा देखा है । हमने अभी सभी बच्चों के लिए एक युवा पूरक शुरू किया है । और सब में से एक... मैं क्या कहूँ ? शायद वह एक बात जो टकराव पैदा करती है आदमीयों के बीच, या कम से कम भगवान के प्रति अमेरिकी आदमी अौर अौरत का प्रेम या दस आज्ञाओं का पालन करने में, ये वो समस्या है, कैसे कहूँ, यौन समस्या की । हमें यहाँ इस देश में पढ़ाया जाता है, और हम नैतिकतावादी में पलते हैं, की यौन एक बुरी बात है । और मुझे लगता है, उम्मीद है की हम इससे बाहर आ रहे हैं, जब युवा लोग, एक व्यक्ति यौवन की उम्र तक पहुँच जाता है... यहाँ इस देश में, मुझे अन्य देशों का पता नहीं है । उसके लिए एक भयानक, जाहिर है एक भयानक समस्या शुरू होती है । अब मैं जो कुछ कहा रहा हूँ यह सब जानते हैं । हम सब इससे गुज़र चुके हैं ।

प्रभुपाद: हाँ, सब लोग ।

पत्रकार: लेकिन एसा लगता है कि यह पश्चिमी चर्चों के लिए असंभव हो गया है कि युवा लोगों को कुछ दें उनकी उम्मीद बंधाने के लिए ताकि वे समझ सकें नंबर एक कि जो वे महसूस कर रहे हैं वह एक सामान्य सुंदर बात है, अौर नंबर दो इसका सामना कैसे करें । और पश्चिमी संस्कृति में ऐसा कुछ नहीं है जो सिखाता है कि या इस बात से निपटने के लिए एक युवा व्यक्ति को मदद करने की जो एक बहुत, बहुत कठिन समस्या है । और मैं इससे गुज़रा हूँ । हम सब गुज़रे हैैं । अब क्या आप अपने संदेश में, युवा लोगों को कुछ उम्मीद बंधाते हैं...

प्रभुपाद: हाँ ।

पत्रकार: ... संभलने के लिए और यदि हां, तो क्या?

प्रभुपाद: हाँ । हाँ मैं देता हूँ ।

पत्रकार: क्या?

प्रभुपाद: मैं शादी करने के लिए अपने सभी शिष्यों से कहता हूँ । मैं इन लड़कों को प्रेमी, प्रेमिका के साथ रहने की अनुमति नहीं देता । नहीं । तुम्हे खुद शादी कर लेनी चाहिए, सज्जनों की तरह जीवन, सहायक के रूप में अपनी पत्नी को समझना, अपने प्रदाता के रूप में अपने पति का समझना । इस तरह, मैं उन्हें पढ़ा रहा हूँ । इस लड़के की सिर्फ चार दिन पहले शादी हुई थी । वह प्रोफेसर है । तो मेरे कई शिष्य शादीशुदा हैं, और वे बहुत खुशी से रह रहे हैं । यह लड़की शादीशुदा है । पूर्व में, वे प्रेमिका, प्रेमी के साथ रह रहे थे । मैं अनुमति नहीं दता हूँ । मैं अनुमति नहीं देता हूँ ।

पत्रकार: ठीक है, चलिए मैं थोडा अधिक बुनियादी होता हूँ । कैसे जब कोई चौदह, पंद्रह, सोलह साल की उम्र का हो ?

प्रभुपाद: एक ही बात । हां, एक और बात यह है कि हम हमारे लड़कों को सिखाते हैं ब्रह्मचारी बनने के लिए । ब्रह्मचारी । ब्रह्मचारी का मतलब है कि कैसे ब्रह्मचर्य का जीवन व्यतीत करें ।

पत्रकार: हम्म?

प्रभुपाद: बस, हावर्ड, ब्रह्मचारी जीवन को समझाए ।

पत्रकार: हाँ, मैं समझता हूँ ।

हयग्रीव: ठीक है, यह इंद्रियों का नियंत्रण है, और वे इन्द्रियों को कैसे नियंत्रित करना है हमें सिखाते हैं । आम तौर पर, शादी नहीं होती है जब तक एक लड़का २२, २३, २५ साल का न हो,

पत्रकार: आपका मतलब है उनकी संस्कृति में ।

प्रभुपाद: हाँ । हम लड़की चुनते हैं, मान लीजिए १६, १७ साल की, अौर लडका २४ साल से ज्यादा नहीं । मैं उनकी शादी कराता हूँ । आप देखते हैं? और क्योंकि उनका ध्यान कृष्ण भावानामृत में लगा है, उन्हे बहुत कम रुची है यौन जीवन में । आप देखते हैं? उनके पास बेहतर काम है। परम दृष्टवा निवर्तते (भ.गी. २.५९) । आप देखते हैं? हम विकल्प देते हैं । हम केवल कहते नहीं है कि "तुम ऐसा मेत करो" लेकिन हम कुछ बेहतर देते हैं । आप देखते हैं? फिर "नहीं" स्वचालित रूप से आता है । आप देखते हैं?

पत्रकार: सही समय पर ।

प्रभुपाद: तुरंत । हम कुछ बेहतर काम देते हैं ।

पत्रकार: यह क्या है?

प्रभुपाद: जैसे हमारे लड़के और लड़कियॉ, वे सभी कृष्ण भावानामृत के कामों में लगे हुए हैं, मंदिर के काम में, चित्रकला में, टाइपिंग में, रिकॉर्डिंग में, बहुत सारी बातें । और वे खुश हैं । वे सिनेमा नहीं जाते हैं, वे क्लब नहीं जाते हैं, वे धूम्रपान नहीं करते हैं, वे पीते नहीं हैं । तो व्यावहारिक रूप से उन्हें मैं प्रशिक्षण दे रहा हूँ कि कैसे नियंत्रित करना है । अौर यह संभावना है क्योंकि ये लड़के और लड़कियॉ, वे सभी अमेरिकी हैं । वे भारत से आयात नहीं किए गए हैैं । उन्होंने क्यों इसे अपनाया है ? प्रणाली इतनी अच्छा है कि उन्हे अच्छा लग गया है । अगर आप इस प्रणाली का प्रसार करें, तो सब कुछ सुलझ जाएगा ।

पत्रकार: तो फिर यह...

प्रभुपाद: हम रोकते नहीं हैं कि तुम औरत के साथ मिश्रण मत करो या आप यौन जीवन बंद करो । हम एसा नहीं कहते हैं । लेकिन हम कृष्ण भावनामृत के तहत सब कुछ विनियमित करते हैं । उनका उद्देश्य ऊँचा है । ये सभी माध्यमिक मंच हैं । तो इस तरह से सब कुछ अच्छा है ।