HI/Prabhupada 0566 - अगर अमेरिकी लोगों के नेता, वे आते हैं और वे समझने की कोशिश करते हैं

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Press Interview -- December 30, 1968, Los Angeles

पत्रकार: क्या यही गांधी ने क्या किया है?

प्रभुपाद: हह ? गांधी को क्या पता था? वे एक राजनीतिज्ञ थे । उन्हें इस संस्कृति के बारे में कुछ भी पता नहीं था ।

पत्रकार: ठीक है, मैंने पढ़ा है कि जब वे ३६ साल के थे वे एक ब्रह्मचारी बन गए , एसा था ...

प्रभुपाद: यह है ... ज़ाहिर है, उनमे कुछ हिंदू सांस्कृतिक विचार थे । यह अच्छा है । उन्होंने ब्रह्मचर्य शुरू किया, यह ठीक है । लेकिन गांधी के कोई बहुत उन्नत आध्यात्मिक विचार नहीं थे ।आप देखते हैं । वे ज्यादातर राजनेता थे, राजनीतिज्ञ । हाँ, बस ।

पत्रकार: हाँ । एक बहुत ही साहसी आदमी । खैर जवाब बहुत सीधा लगता है, कहने का मतलब यह है, और एसा है अगर ...

प्रभुपाद: अब अगर आप सहयोग करें, तो मैं अापके पूरे देश को बदल सकता हूँ । वे बहुत खुश रहेंगे । तब सब कुछ बहुत अच्छा हो जाएगा । यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन इतना अच्छा है । बशर्ते आप सहयोग करें । कोई भी सहयोग नहीं कर रहा है । बस ये लड़के, वे कृपा करके मेरे पास अाए हैं और सहयोग कर रहे हैं । तो मेरा आंदोलन चल रहा है, लेकिन बहुत धीरे । लेकिन अगर अमेरिकी लोगों का नेता, वे आते हैं और वे समझने की कोशिश करते हैं और वे इस प्रणाली को लागू करने की कोशिश करते हैं, ओह, तो अापका देश दुनिया में सबसे अच्छा देश होगा ।

पत्रकार: अाप ... अाप कब से इस के साथ शामिल हैं?

हैयग्रीव: ढाई साल ।

पत्रकार: ढाई साल? क्या मैं पूछ सकता है कि आपकी उम्र क्या है?

हैयग्रीव: मैं २८ हूँ ।

पत्रकार: आप २८ हैं । अब, क्या इसने अापको बदला है?

हैयग्रीव: आह, काफी । (हंसते हुए)

पत्रकार: लेकिन एक व्यावहारिक दृष्टिकोण से, कैसे यौन संबंधी बातें जिसके बारे में स्वामी बात कर रहे हैं, इसने आपको कैसे प्रभावित किया है ? क्या इसने, आपको प्रभावकारिता दिखी इसमें जिसके बारे में हम बात कर रहे थे ? क्योंकि मेरे लिए यह एक बहुत ही सर्वोपरि समस्या है युवा लोगों के मामले में ।

हैयग्रिव: ठीक है, इच्छाऍ तो हैं, और हमारी इतनी सारी इच्छाऍ हैं । और यौन इच्छा शायद हमारी सबसे बलवान इच्छाओं में से एक है । तो...

प्रभुपाद: हाँ, हाँ ।

हैयग्रिव : तो इन इच्छाओं को संलग्न किया जाता है । उन्हे पुनर्निर्देशित किया जाता है और कृष्ण की ओर निर्देशित किया जाता है ।

पत्रकार: ठीक है, मैं समझता हूँ, मैं यह समझता हूँ, लेकिन मैं कह रहा हूँ कि यह प्रभावशाली है? यह काम करता है?

हैयग्रीव: हाँ, यह काम करता है । यह काम करता है । लेकिन आपको इसके साथ लगे रहना होगा । यह बहुत मुश्किल हो सकता है, विशेष रूप से शुरुअात में, लेकिन यह काम करता है । अापको संकल्प करना होग इसे सफल करने के लिए । अापको इसे सफल करना ही होगा ।

पत्रकार: अब, मैं अच्छी तरह से इस बात को समझ चाहता हूँ । दूसरे शब्दों में, अापको लगता नहीं है कि अापने कुछ त्याग दिया है ।

हैयग्रीव: नहीं, एसा है कि जब आप कुछ बेहतर देखते हैं ...

पत्रकार: यही मेरे......यही मेरे कहने का मतलब है ... यही....

प्रभुपाद: हाँ । अाप कुछ बेहतर स्वीकार कर रहे हैं ।

पत्रकार: बेहतर । हाँ, है । केवल अपनी जीभ को काट कर या अपने होंठ से कह कर कि, " मैं इसे स्पर्श नहीं करूँगा, मैं इसे स्पर्श नहीं करूँगा ।" एक विकल्प है ।

हैयग्रीव: यह नहीं, आप ... आपमें आनंद के लिए क्षमता है, और आप कुछ त्याग नहीं कर रहे हैं ... मनुष्य के लिए यह बहुत स्वाभावकि है कि वह किसी चीज को नहीं छोडेगा जब तक उसके पास कुछ बेहतर न हो । तो, मुद्दा यह है कि कुछ बेहतर पाना होगा उसकी तुलना में जो तुम त्यागना चाहते हो......

प्रभुपाद : हॉ ।