HI/Prabhupada 0713 - व्यस्त मूर्ख खतरनाक है: Difference between revisions

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कितनी भी अच्छी तरह से तुमने भौतिक सुविधाओं का प्रबंध किया हो, सुविधाऍ, तुम यहाँ नहीं रह सकते हो । तुम नहीं कर सकते ... तुम्हारी एक निश्चित शक्ति है । इसलिए वह शक्ति किसी अन्य उद्देश्य के लिए है । तो तुम्हारी शक्ति जीवन के वास्तविक उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं की जा रही है, अगर तुम अपने तथाकथित भौितक खुशी को बढ़ाने के लिए इसे उपयोग करते हो ... वास्तव में, वे खुश नहीं हुए हैं । अन्यथा, क्यों इतने सारे युवा लड़के और लड़कियॉ, वे निराश हो जाते हैं? क्योंखि इस तरह की उन्नति हमें खुश नहीं देगी । यह एक तथ्य है । इसलिए, यदि तुम अपनी शक्ति को बर्बाद व्यर्थ की चीजों पर तो तुम आगे बढ़ नहीं रहे हो, तुम्हारी पराजित हो रही है । वे यह नहीं जानते हैं । यह श्रीमद-भागवतम में कहा गया है । पराभवस तावद अबोध-जातो न जिज्ञासत अात्म-तत्वम । पराभव । पराभव का मतलब है हार । तावत "जब तक" भौतिकवादी व्यक्ति की सभी गतिविधियॉ बस हार हैं । पराभवस तावद अबोध-जात: । अबोध । अबोध का मतलब है मूर्ख, अज्ञानी, दुष्ट, अज्ञानी, का जन्म से मूर्ख, दुष्ट । हम सब मूर्ख पैदा होते हैं । अगर हम ठीक से शिक्षित नहीं होते हैं तो, तो हम मूर्ख और दुष्ट रहते हैं, और मूर्खों और दुष्टों की गतिविधियॉ, यह केवल समय की बर्बादी है । क्योंकि ... क्या कहा जाता है? व्यस्त दुष्ट, व्यस्त बदमाश । अगर एक बदमाश व्यस्त है, इसका मतलब है कि वह केवल शक्ति खराब कर रहा है । जैसे बंदर की तरह । बंदर बहुत व्यस्त रहता है । बेशक, श्री डार्विन के अनुसार, वे बंदर से आ रहे हैं । तो बंदर का काम केवल समय की बर्बादी है । वह बहुत व्यस्त है । तुम्हे हमेशा व्यस्त मिलेगा । इसलिए व्यस्त मूर्ख खतरनाक है । पुरुषों की चार वर्ग हैं : आलसी बुद्धिमान, व्यस्त बुद्धिमान, आलसी मूर्ख और व्यस्त मूर्ख । तो प्रथम श्रेणी का आदमी अालसी बुद्धिमान है । जैसे तुम देखोगे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को । वे बहुत आलसी हैं और सबसे बुद्धिमान । यही प्रथम श्रेणी का व्यक्ति है । वे बहुत गंभीरतापूर्वक सब कुछ कर रहे हैं । और अगल वर्ग: व्यस्त बुद्धिमान । बुद्धिमता को बहुत गंभीरतापूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिए । और तीसरा वर्ग: आलसी मूर्ख - आलसी, उसी समय, मूर्ख । और चौथा वर्ग: व्यस्त मूर्ख । व्यस्त मूर्ख बहुत खतरनाक है । तो ये सभी लोग, वे व्यस्त हैं । यहां तक ​​कि इस देश में, हर जगह, पूरी दुनिया में, इस देश या उसे देश में नहीं । उन्होंने यह बिना घोड़ा की गाड़ी की खोज की है -बहुत व्यस्त । " पौं पौं " (कार के शोर की नकल करते हुए) ।इस तरह से, इस तरह, इस तरह से । लेकिन वास्तव में, वे बुद्धिमान नहीं हैं । व्यस्त मूर्ख । इसलिए वे समस्याओं के बाद समस्याएं पैदा कर रहे हैं । यह एक तथ्य है । वे इतने व्यस्त हैं लेकिन क्योंकि वे मूर्ख हैं, इसलिए वे समस्याएं पैदा कर रहे हैं ।
कितनी भी अच्छी तरह से तुमने भौतिक सुविधाओं का प्रबंध किया हो, तुम यहाँ नहीं रह सकते हो । तुम नहीं... तुम्हारी एक निश्चित शक्ति है । तो वो शक्ति किसी अन्य उद्देश्य के लिए है । तो तुम्हारी शक्ति जीवन के वास्तविक उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं की जा रही है, अगर तुम अपनी तथाकथित भौतिक खुशी को बढ़ाने के लिए इसे उपयोग करते हो... वास्तव में, वे खुश नहीं हुए हैं । अन्यथा, क्यों इतने सारे युवा लड़के और लड़कियॉ, वे निराश हो जाते हैं? क्योंकि इस तरह की उन्नति हमें सुख नहीं देगी । यह एक तथ्य है । इसलिए, यदि तुम अपनी शक्ति को बर्बाद व्यर्थ की चीजों पर गवाते हो, तो तुम आगे बढ़ नहीं रहे हो, तुम्हारी पराजय हो रही है । वे यह नहीं जानते हैं । यह श्रीमद-भागवतम में कहा गया है । पराभवस तावद अबोध-जातो न जिज्ञासत अात्म-तत्वम । पराभव ।  
 
पराभव का मतलब है हार । तावत "जब तक |" भौतिकवादी व्यक्ति की सभी गतिविधियॉ बस हार हैं । पराभवस तावद अबोध-जात: । अबोध । अबोध का मतलब है मूर्ख, अज्ञानी, दुष्ट, अज्ञानी, जन्म से मूर्ख, दुष्ट । हम सब मूर्ख पैदा होते हैं । अगर हम ठीक से शिक्षित नहीं होते हैं तो, तो हम मूर्ख और दुष्ट रहते हैं, और मूर्खों और दुष्टों की गतिविधियॉ, यह केवल समय की बर्बादी है । क्योंकि... क्या कहा जाता है? व्यस्त दुष्ट, व्यस्त बदमाश । अगर एक बदमाश व्यस्त है, इसका मतलब है कि वह केवल शक्ति खराब कर रहा है । जैसे बंदर की तरह । बंदर बहुत व्यस्त रहता है । अवश्य, श्री डार्विन के अनुसार, वे बंदर से आ रहे हैं । तो बंदर का काम केवल समय की बर्बादी है । वह बहुत व्यस्त है । तुम्हे हमेशा व्यस्त मिलेगा । इसलिए व्यस्त मूर्ख खतरनाक है । पुरुषों के चार वर्ग हैं: आलसी बुद्धिमान, व्यस्त बुद्धिमान, आलसी मूर्ख और व्यस्त मूर्ख । तो प्रथम श्रेणी का आदमी अालसी बुद्धिमान है । जैसे तुम देखोगे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को । वे बहुत आलसी हैं और सबसे बुद्धिमान । यही प्रथम श्रेणी का व्यक्ति है । वे बहुत गंभीरतापूर्वक सब कुछ कर रहे हैं ।  
 
और अगल वर्ग: व्यस्त बुद्धिमान । बुद्धिमता को बहुत गंभीरतापूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिए । और तीसरा वर्ग: आलसी मूर्ख - आलसी, उसी समय, मूर्ख । और चौथा वर्ग: व्यस्त मूर्ख । व्यस्त मूर्ख बहुत खतरनाक है । तो ये सभी लोग, वे व्यस्त हैं । यहां तक ​​कि इस देश में, हर जगह, पूरी दुनिया में, इस देश या उसे देश में नहीं । उन्होंने यह बिना घोड़े की गाड़ी की खोज की है - बहुत व्यस्त । "पौं पौं" (कार के शोर की नकल करते हुए) । इस तरह से, इस तरह, इस तरह से । लेकिन वास्तव में, वे बुद्धिमान नहीं हैं । व्यस्त मूर्ख । इसलिए वे समस्या के बाद समस्याएं पैदा कर रहे हैं । यह एक तथ्य है । वे इतने व्यस्त हैं लेकिन क्योंकि वे मूर्ख हैं, इसलिए वे समस्याएं पैदा कर रहे हैं ।  
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Latest revision as of 07:12, 20 October 2018



Lecture on SB 1.16.23 -- Hawaii, January 19, 1974

कितनी भी अच्छी तरह से तुमने भौतिक सुविधाओं का प्रबंध किया हो, तुम यहाँ नहीं रह सकते हो । तुम नहीं... तुम्हारी एक निश्चित शक्ति है । तो वो शक्ति किसी अन्य उद्देश्य के लिए है । तो तुम्हारी शक्ति जीवन के वास्तविक उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं की जा रही है, अगर तुम अपनी तथाकथित भौतिक खुशी को बढ़ाने के लिए इसे उपयोग करते हो... वास्तव में, वे खुश नहीं हुए हैं । अन्यथा, क्यों इतने सारे युवा लड़के और लड़कियॉ, वे निराश हो जाते हैं? क्योंकि इस तरह की उन्नति हमें सुख नहीं देगी । यह एक तथ्य है । इसलिए, यदि तुम अपनी शक्ति को बर्बाद व्यर्थ की चीजों पर गवाते हो, तो तुम आगे बढ़ नहीं रहे हो, तुम्हारी पराजय हो रही है । वे यह नहीं जानते हैं । यह श्रीमद-भागवतम में कहा गया है । पराभवस तावद अबोध-जातो न जिज्ञासत अात्म-तत्वम । पराभव ।

पराभव का मतलब है हार । तावत "जब तक |" भौतिकवादी व्यक्ति की सभी गतिविधियॉ बस हार हैं । पराभवस तावद अबोध-जात: । अबोध । अबोध का मतलब है मूर्ख, अज्ञानी, दुष्ट, अज्ञानी, जन्म से मूर्ख, दुष्ट । हम सब मूर्ख पैदा होते हैं । अगर हम ठीक से शिक्षित नहीं होते हैं तो, तो हम मूर्ख और दुष्ट रहते हैं, और मूर्खों और दुष्टों की गतिविधियॉ, यह केवल समय की बर्बादी है । क्योंकि... क्या कहा जाता है? व्यस्त दुष्ट, व्यस्त बदमाश । अगर एक बदमाश व्यस्त है, इसका मतलब है कि वह केवल शक्ति खराब कर रहा है । जैसे बंदर की तरह । बंदर बहुत व्यस्त रहता है । अवश्य, श्री डार्विन के अनुसार, वे बंदर से आ रहे हैं । तो बंदर का काम केवल समय की बर्बादी है । वह बहुत व्यस्त है । तुम्हे हमेशा व्यस्त मिलेगा । इसलिए व्यस्त मूर्ख खतरनाक है । पुरुषों के चार वर्ग हैं: आलसी बुद्धिमान, व्यस्त बुद्धिमान, आलसी मूर्ख और व्यस्त मूर्ख । तो प्रथम श्रेणी का आदमी अालसी बुद्धिमान है । जैसे तुम देखोगे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को । वे बहुत आलसी हैं और सबसे बुद्धिमान । यही प्रथम श्रेणी का व्यक्ति है । वे बहुत गंभीरतापूर्वक सब कुछ कर रहे हैं ।

और अगल वर्ग: व्यस्त बुद्धिमान । बुद्धिमता को बहुत गंभीरतापूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिए । और तीसरा वर्ग: आलसी मूर्ख - आलसी, उसी समय, मूर्ख । और चौथा वर्ग: व्यस्त मूर्ख । व्यस्त मूर्ख बहुत खतरनाक है । तो ये सभी लोग, वे व्यस्त हैं । यहां तक ​​कि इस देश में, हर जगह, पूरी दुनिया में, इस देश या उसे देश में नहीं । उन्होंने यह बिना घोड़े की गाड़ी की खोज की है - बहुत व्यस्त । "पौं पौं" (कार के शोर की नकल करते हुए) । इस तरह से, इस तरह, इस तरह से । लेकिन वास्तव में, वे बुद्धिमान नहीं हैं । व्यस्त मूर्ख । इसलिए वे समस्या के बाद समस्याएं पैदा कर रहे हैं । यह एक तथ्य है । वे इतने व्यस्त हैं लेकिन क्योंकि वे मूर्ख हैं, इसलिए वे समस्याएं पैदा कर रहे हैं ।