HI/Prabhupada 0818 - सत्व गुण के मंच पर, तुम सर्वोत्तम को समझ सकते हो: Difference between revisions

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तमाल कृष्ण: कैसे हम सत्व गुण में प्रवेश करें ?  
तमाल कृष्ण: कैसे हम सत्व गुण में प्रवेश करें ?  


प्रभुपाद: हमारे निर्धारित चार सिद्धांतों का पालन करने की कोशिश करो: कोई नशा, कोई जुआ, कोई अवैध सेक्स, और कोई मांस खाना नहीं । बस इतना ही। यह सत्व गुण है । यह सत्व गुण है । ये निषेध हैं। क्यूँ? केवल तुम्हे सत्व गुण में रखने के लिए। हर धर्म में ... अब दस आज्ञाओं में भी, मैं देखता हूँ कि "तुम मारोगे नहीं।" वही बात है, लेकिन लोग पालन नहीं कर रहे हैं । यह एक अलग बात है। कोई धार्मिक व्यक्ति... कोई भी धार्मिक नहीं हो सकता है जब तक वह सत्व गुण में स्थित नहीं है । ... एक रजोगुणी व्यक्ति या तमोगुणी व्यक्ति, वे धार्मिक मंच तक उन्नत नहीं हो सकते हैं धार्मिक मंच मतलब सत्व गुण । तो तुम समझ सकते हो । सत्व गुण के मंच पर, तुम सर्वोत्तम को समझ सकते हो । अगर तुम तमो गुण के मंच पर हो, अगर तुम रजो गुण के मंच पर हो, तो तम कैसे सर्वोत्तम को समझ सकते हो ? यह संभव नहीं है। तो हमें सत्व गुण में खुद को रखना चाहिए । और उस सत्व गुण का मतलब है हमें निषेधों का पालन करना होगा । या तो तुम दस आज्ञाओं का या इन चार आज्ञाओं का पालन करो, एक ही बात है । इसका मतलब है तुम्हे अपने अाप को सत्व गुण में रखना होगा । संतुलन सत्व गुण में है । भगवद गीता में यह कहा गया है, परम ब्रह्म परम धाम पवित्रम् परमम् भवान ([[Vanisource:BG 10.12|भ गी १०।१२]]) अर्जुन नें श्री कृष्ण को स्वीकार किया सर्वोत्तम पवित्रता के रूप में । कैसे तुम सर्वोत्तम के निकट जा सकते हो अपने आप को शुद्ध किए बिना? तो यह शुद्ध बनने के लिए उन्नति का मार्ग है, क्योंकि हम दूषित हैं । तो शुद्ध बनने के लिए... एकादशी, क्यों हम पालन करते हैं ? शुद्ध बनने के लिए। ब्रह्मचर्य तपस्या, ब्रह्मचर्य, हमेशा श्री कृष्ण भावनामृत में मन को रखना, शरीर को हमेशा शुद्ध रखना - ये बातें मदद करेंगी हमें सत्व गुण में रहने के लिए । सत्व गुण के बिना, यह संभव नहीं है। लेकिन कृष्ण भावनामृत इतना अच्छा है कि अगर कोई रजो गुण, तमो गुण में है तुरंत वह सत्व गुण तक उन्नत हो जाता है अगर वह नियमों और निषेधों का पालन करे और हरे कृष्ण मेंत्र जप करे । यह हरे कृष्ण मंत्र का जाप और नियम और निषेधों का पालन करना तुम्हे सत्व गुण में बरकरार रखेगा । निश्चित होना । विफलता के बिना । क्या यह बहुत मुश्किल है? हमम ? ठीक है।
प्रभुपाद: हमारे निर्धारित चार सिद्धांतों का पालन करने की कोशिश करो: कोई नशा नहीं, कोई जुआ नहीं, कोई अवैध यौन संबंध नहीं, और कोई मांसाहार नहीं । बस इतना ही । यह सत्व गुण है । यह सत्व गुण है । ये निषेध हैं । क्यों ? केवल तुम्हे सत्व गुण में रखने के लिए । हर धर्म में... अब दस आज्ञाओं में भी, मैं देखता हूँ कि "तुम मारोगे नहीं ।" वही बात है, लेकिन लोग पालन नहीं कर रहे हैं । यह एक अलग बात है ।
 
कोई धार्मिक व्यक्ति... कोई भी व्यक्ति धार्मिक नहीं हो सकता जब तक वह सत्व गुण में स्थित नहीं है । एक रजोगुणी व्यक्ति या तमोगुणी व्यक्ति, वे धार्मिक मंच तक उन्नत नहीं हो सकते हैं | धार्मिक मंच मतलब सत्व गुण । तो तुम समझ सकते हो । सत्व गुण के मंच पर, तुम सर्वोत्तम को समझ सकते हो । अगर तुम तमो गुण के मंच पर हो, अगर तुम रजो गुण के मंच पर हो, तो तम कैसे सर्वोत्तम भगवान को समझ सकते हो ? यह संभव नहीं है । तो हमें ख़ुद को सत्व गुण में रखना चाहिए । और उस सत्व गुण का मतलब है हमें निषेधों का पालन करना होगा । या तो तुम दस आज्ञाओं का या इन चार आज्ञाओं का पालन करो, एक ही बात है । इसका मतलब है तुम्हे अपने अाप को सत्व गुण में रखना होगा ।  
 
संतुलन सत्व गुण में है । भगवद गीता में यह कहा गया है, परम ब्रह्म परम धाम पवित्रम परमम भवान [[HI/BG 10.12-13|भ.गी. १०.१२]]) | अर्जुन नें कृष्ण को स्वीकार किया परम शुद्ध के रूप में । कैसे तुम अपने आप को शुद्ध किए बिना सर्वोत्तम के निकट जा सकते हो ? तो यह शुद्ध बनने के लिए उन्नति का मार्ग है, क्योंकि हम दूषित हैं । तो शुद्ध बनने के लिए... एकादशी, क्यों हम पालन करते हैं ? शुद्ध बनने के लिए । ब्रह्मचर्य तपस्या, ब्रह्मचर्य, हमेशा कृष्ण भावनामृत में मन को रखना, शरीर को हमेशा शुद्ध रखना - ये बातें मदद करेंगी हमें सत्व गुण में रहने के लिए ।  
 
सत्व गुण के बिना, यह संभव नहीं है । लेकिन कृष्ण भावनामृत इतना अच्छा है कि अगर कोई रजो गुण, तमो गुण में है तुरंत वह सत्व गुण तक उन्नत हो जाता है, अगर वह नियमों और निषेधों का पालन करे और हरे कृष्ण मंत्र का जप करे । यह हरे कृष्ण मंत्र का जप और नियम और निषेधों का पालन करना तुम्हे सत्व गुण में बरकरार रखेगा । निश्चित होगा । विफलता के बिना । क्या यह बहुत मुश्किल है ? हम्म ? ठीक है ।
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Latest revision as of 19:20, 17 September 2020



Lecture on SB 7.9.8 -- Seattle, October 21, 1968

तमाल कृष्ण: कैसे हम सत्व गुण में प्रवेश करें ?

प्रभुपाद: हमारे निर्धारित चार सिद्धांतों का पालन करने की कोशिश करो: कोई नशा नहीं, कोई जुआ नहीं, कोई अवैध यौन संबंध नहीं, और कोई मांसाहार नहीं । बस इतना ही । यह सत्व गुण है । यह सत्व गुण है । ये निषेध हैं । क्यों ? केवल तुम्हे सत्व गुण में रखने के लिए । हर धर्म में... अब दस आज्ञाओं में भी, मैं देखता हूँ कि "तुम मारोगे नहीं ।" वही बात है, लेकिन लोग पालन नहीं कर रहे हैं । यह एक अलग बात है ।

कोई धार्मिक व्यक्ति... कोई भी व्यक्ति धार्मिक नहीं हो सकता जब तक वह सत्व गुण में स्थित नहीं है । एक रजोगुणी व्यक्ति या तमोगुणी व्यक्ति, वे धार्मिक मंच तक उन्नत नहीं हो सकते हैं | धार्मिक मंच मतलब सत्व गुण । तो तुम समझ सकते हो । सत्व गुण के मंच पर, तुम सर्वोत्तम को समझ सकते हो । अगर तुम तमो गुण के मंच पर हो, अगर तुम रजो गुण के मंच पर हो, तो तम कैसे सर्वोत्तम भगवान को समझ सकते हो ? यह संभव नहीं है । तो हमें ख़ुद को सत्व गुण में रखना चाहिए । और उस सत्व गुण का मतलब है हमें निषेधों का पालन करना होगा । या तो तुम दस आज्ञाओं का या इन चार आज्ञाओं का पालन करो, एक ही बात है । इसका मतलब है तुम्हे अपने अाप को सत्व गुण में रखना होगा ।

संतुलन सत्व गुण में है । भगवद गीता में यह कहा गया है, परम ब्रह्म परम धाम पवित्रम परमम भवान भ.गी. १०.१२) | अर्जुन नें कृष्ण को स्वीकार किया परम शुद्ध के रूप में । कैसे तुम अपने आप को शुद्ध किए बिना सर्वोत्तम के निकट जा सकते हो ? तो यह शुद्ध बनने के लिए उन्नति का मार्ग है, क्योंकि हम दूषित हैं । तो शुद्ध बनने के लिए... एकादशी, क्यों हम पालन करते हैं ? शुद्ध बनने के लिए । ब्रह्मचर्य तपस्या, ब्रह्मचर्य, हमेशा कृष्ण भावनामृत में मन को रखना, शरीर को हमेशा शुद्ध रखना - ये बातें मदद करेंगी हमें सत्व गुण में रहने के लिए ।

सत्व गुण के बिना, यह संभव नहीं है । लेकिन कृष्ण भावनामृत इतना अच्छा है कि अगर कोई रजो गुण, तमो गुण में है तुरंत वह सत्व गुण तक उन्नत हो जाता है, अगर वह नियमों और निषेधों का पालन करे और हरे कृष्ण मंत्र का जप करे । यह हरे कृष्ण मंत्र का जप और नियम और निषेधों का पालन करना तुम्हे सत्व गुण में बरकरार रखेगा । निश्चित होगा । विफलता के बिना । क्या यह बहुत मुश्किल है ? हम्म ? ठीक है ।