HI/Prabhupada 0955 - ज्य़ादातर जीव, वे आध्यात्मिक दुनिया में हैं । केवल कुछ ही नीचे गिरते हैं
750623 - Conversation - Los Angeles
डॉ मिज़े : क्या सभी आत्माऍ जो आध्यात्मिक जगत में थीं नीचे गिरी आध्यात्मिक जगत से एक साथ या अलग अलत समय पर, या क्या एसी अात्माऍ हैं जो हमेशा अच्छी हैं, वे मूर्ख नहीं हैं, वे नीचे नहीं गिरती ?
प्रभुपाद: नहीं, हैं ... ज़्यादातर, नब्बे प्रतिशत, वे हमेशा अच्छी हैं । वे नीचे कभी नहीं गिरती हैं ।
डॉ मिज़े : तो हम दस प्रतिशत में हैं ?
प्रभुपाद: हाँ । या उस से भी कम । भौतिक, पूरी भौतिक दुनिया, सभी जीव वे हैं ... जैसे कुछ जनसंख्या जेल में है, लेकिन वे बहुमत नहीं हैं । जय़ादातर आबादी, वे जेल के बाहर हैं । इसी तरह, ज़्यादातर जीव, भगवान का अंश्स्वरूप होने के कारण, वे आध्यात्मिक जगत में हैं । केवल कुछ ही नीचे गिरते हैं ।
डॉ मिज़े : श्री कृष्ण को मालूम है पहले से ही कि यह आत्मा मूर्ख बनने वाली है और नीचे गिरने वाली है ?
प्रभुपाद: श्री कृष्ण ? हाँ, श्री कृष्ण को पता हो सकता है क्योंकि वे सर्वज्ञ हैं ।
डॉ मिज़े : क्या अभी भी आत्माऍ गिर रही हैं ?
प्रभुपाद: हर समय नहीं । लेकिन गिरने की प्रवृत्ति है, सभी के लिए नहीं है, लेकिन क्योंकि स्वतंत्रता है, ... हर कोई स्वतंत्रता का दुरुपयोग करना पसंद नहीं करता है । वही उदाहरण : जैसे सरकार एक शहर का निर्माण कर रही है, और जेल का निर्माण करती है, क्योंकि सरकार जानती है कि कोई आपराधी बनेगा, तो उनके आश्रय का भी निर्माण करना होगा । यह समझने के लिए बहुत आसान है । ऐसा नहीं है कि शत-प्रतिशत आबादी आपराधी है, लेकिन सरकार जानती है कि उनमें से कुछ होंगे । अन्यथा क्यों वे जेल हाउस का निर्माण करते हैं ? कोई कह सकता है "आपराधिक कहां है? आप निर्माण कर रहे हो ..." सरकार जानती है कि आपराधी तो होगा । तो अगर साधारण सरकार को पता हो सकता है, तो क्यों भगवान को पता नहीं हो सकता ? क्योंकी प्रवृत्ति है ।
डॉ मिज़े : उस प्रवृत्ति का मूल ...?
प्रभुपाद: हाँ ।
डॉ मिज़े : प्रवृत्ति कहां से आती है ?
प्रभुपाद: प्रवृत्ति का मतलब है स्वतंत्रता । तो हर कोई जानता है कि स्वतंत्रता मतलब हम उसका सद उपयोग या दुरुपयोग कर सकते हैं, यही स्वतंत्रता है । अगर तुम एकतर्फा करते हो, तो तुम नीचे गिर नहीं सकते हो, यह स्वतंत्रता नहीं है । यही जबरदस्ती है । इसलिए श्री कृष्ण कहते हैं, यथेच्छसि तथा कुरु (भ गी १८।६३): " अब तुम जो चाहो वो करो ।"