HI/Prabhupada 1043 - हम कोका कोला नहीं पीते हैं । हम पेप्सी कोला नहीं पीते हैं । हम धूम्रपान नहीं करते हैं

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751002 - Lecture SB 07.05.30 - Mauritius

हम कोका कोला नहीं पीते हैं । हम पेप्सी कोला नहीं पीते हैं । हम धूम्रपान नहीं करते हैं अगर कोई जीवन के इस भौतिक धारणा का आदी है, वह समझ नहीं सकता है, या उसे समझाया जा नहीं सकता है, कृष्ण भावनामृत के बारे में । भगवद गीता में, यह कहा गया है कि,

भोगैश्वर्य प्रसक्तानां
तयापहृत चेतसां
व्यवसायत्मिका बुद्धि:
समाधौ न विधीयते
(भ गी २।४४)

। जो बहुत ज्यादा भौतिकवादी जीवन के प्रति अाकर्षित हैं - मतलब इन्द्रिय संतुष्टि ... भौतिकवादी जीवन का अर्थ है इन्द्रिय संतुष्टि । आध्यात्मिक जीवन और भौतिक जीवन के बीच क्या अंतर है ? ये लड़के, यूरोप और अमेरिका से ये लड़के उन्होंने इस आध्यात्मिक जीवन को अपनाया है जिसका अर्थ यह है कि उन्होंने इन्द्रिय संतुष्टि की प्रक्रिया को छोड दिया है कोई अवैध सेक्स, कोई मांसाहार, कोई जुआ, कोई नशा नहीं । यह भौतिकवादी जीवना का तरीका है । अन्यथा, इस जीवन और उस जीवन के बीच क्या अंतर है ? तो अगर हम भौतिकवादी जीवन को अपनाते हैं, तो फिर इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन को समझना बहुत, बहुत मुश्किल हो जाएगा । मतिर् न कृष्णे परत: स्वतो वा मिथो अभिपद्यते गृह व्रतानां । क्यूँ ?

अब, अदांत गोभि: अदांत का अर्थ है अनियंत्रित । अनियंत्रित। हमारी इंद्रियॉ अनियंत्रित हैं । अाज सुबह, जब मैं समुद्र तट पर चल रहा था, हमें इतनी सारी चीजें मिलीं - कोका-कोला का ढक्कन, सिगरेट और कई अन्य चीजें । तो यह कोका-कोला की आवश्यकता क्या है ? तुम हमारे समाज में इन सब बातों को नहीं पाअोगे । हम कोका कोला नहीं पीते हैं । हम पेप्सी कोला नहीं पीते हैं । हम धूम्रपान नहीं करते हैं । कई चीज़ें जो वे बेच रहे हैं बाज़ार में विज्ञापन द्वारा, गरीब ग्राहक को ठग कर..... लेकिन वे अनावश्यक चीजें कहलाती हैं । ऐसी बातों की कोई जरूरत नहीं है । लेकिन अदांत गोभि: क्योंकि इन्द्रियॉ अनियंत्रित हैं, वे कमा रहे हैं । वे कमा रहे हैं, अनावश्यक चीज़ों से । इसलिए हमें इंद्रियों को नियंत्रित करना चाहिए । अगर हम वास्तव में आध्यात्मिक जीवन चाहते हैं, अगर हम वास्तव में इन भौतिक चंगुल से मुक्त होना चाहते हैं, तो फिर हमें इंद्रियों को नियंत्रित करना सीखना होगा । यह अावश्यक है । यही मानव जीवन का उद्देश्य है । यही मानव जीवन का उद्देश्य है । मानव जीवन बिल्लियों और कुत्तों और सुअरों के जीवन की नकल करने के लिए नहीं है। यह मानव जीवन नहीं है ।