HI/Prabhupada 1053 - क्योंकि तुम्हे समाज को चलाना है, इसका मतलब यह नहीं कि तुम असली बात भूल जाअो

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750522 - Conversation B - Melbourne

प्रभुपाद: अापका शरीर, अाप स्वयं, सब कुछ भगवान का है । यह शरीर भौतिक शरीर है । यह भौतिक शक्ति, पृथ्वी, जल, वायु आग - सब कुछ भगवान का है । यह समुद्र भगवान का है, पानी, विशाल पानी । आपने नहीं बनाया है, न तो आपके पूर्वज ने बनाया है । तो यह शरीर पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, पांच तत्वों से बना है । तो अापका ... शरीर भी भगवान का है । जब अब मैं अात्मा हूं, मैं भगवान का अंशस्वरूप हूं । तो सब कुछ भगवान का है । यह कृष्ण भावनामृत है । हम झूठा दावा कर रहे हैं कि "यह हमारा है।" यह माया है । माया का अर्थ है जो तथ्य नहीं है । यही माया का अर्थ है ।

मधुद्विष: श्रील प्रभुपाद, यह अवधारणा कि सब कुछ भगवान का है, यह काम नहीं कर सकताा है जब तक हर कोई विश्ववास नहीं करता है कि सब कुछ भगवान का है ।

प्रभुपाद: तो हर कोई पागल हो सकता है । इससे तथ्य नहीं बदलता है । अगर कोई पागल आदमी इस कमरे में आता है और वह लड़ता है "मैं मालिक हूँ । तुम बाहर निकलो" तो यह तथ्य नहीं है ।

रेमंड लोपेज: मैं समझ सकता हूं, आप समुद्र के बारे में बात कर रहे थे, इत्यादि । लेकिन यह लोगों के उपयोग के लिए है ।

प्रभुपाद: प्रयोग । आप उपयोग कर सकते हो । तेन त्यक्तेन भुंिजता: (ईषो १) यहौ वैदिक निषेधाज्ञा है । जो आपको दिया गया है, तो आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं । वैसे ही जैसे एक सज्जन के पाँच बेटे हैं । वह एक बेटे को देता है, "यह तुम्हारी संपत्ति है । यह तुम्हारी संपत्ति है। तुम उपयोग कर सकते हो ।" लेकिन बेटे को स्वीकार करना होगा कि "यह पिता की संपत्ति है । उन्होंने हमें दिया है ।" इसी तरह, वैदिक शास्त्र में यह कहा गया है कि "सब कुछ भगवान का है, अौर जो उन्होंने अापको दिया है, अाप उपयोग कर सकते हैं । दूसरों पर अतिक्रमण न करें । "

रेमंड लोपेज: लेकिन अगर उन्होंने दिया है ... आप कह रहे थे कि अगर उन्होंने दिया है अापको और दूसरों पर अतिक्रमण मत करो लेकिन कुछ बातें हैं जो एक व्यक्ति के पास हैं, यह व्यक्तियों का एक समूह, जो मुझे लगता है, सही मायने में कहा जा सकता है ...

प्रभुपाद: और मूल रूप से हमें स्वीकार करना होगा, सब कुछ भगवान का है । जैसे पिता और बेटों की तरह। बेटए को पता होना चाहिए कि, "संपत्ति पिता की है ।" यही वास्तविक ज्ञान है । अब, "जो भी पिता ने मुझे दिया है, मैं इसका इस्तेमाल करूंगा । क्यों मैं दूसरों पर पर अतिक्रमण करूं, मेरे भाई, जो उसे पिता से मिला है?" यह अच्छी समझ है । "क्यों मैं अपने भाई के साथ लड़ूं ? मेरे पिता ने उसे यह संपत्ति दी है, तो उसे उस का उपयोग करने दो, अौर जो उन्होंणे मुझे दिया है, मुझे इसका इस्तेमाल करने दो । क्यों मैं उसकी संपत्ति पर अतिक्रमण करूं ? " यह अच्छी समझ है ।

रेमंड लोपेज: मैं समझ सकता हूं आप क्या कह रहे हैं, "अन्य लोगों की संपत्ति पर अतिक्रमण न करें ।", और मैं मानता हूं, अगर मैं सही समझ रहा हूं, अाप कह रहे हैं कि अगर आपके पास कुछ है, अगर किसी ने अापको कुछ दिया है अौर कोई अौर इसका इस्तेमाल करना चाहता है, तो उसे करने दो । मैं यह समझ सकता हूँ । लेकिन आप उस चरण तक नहीं पहुंच सकते हो, या नहीं पहंच सकते हो, कि किसी न किसी कारण से अाप नहीं चाहते कि वह इसका इस्तेमाल करे ?

प्रभुपाद: मैं उपयोग नहीं करना चाहता ?

मधद्विष: वे कह रहे हैं कि अगर कोई नहीं चाहता है... अगर आप नहीं चाहते कि कोई अौर अापके पास जो है उसका उपयोग करे । अगर कोई जबरन लेने की कोशिश करता है...

प्रभुपाद: नहीं, यह अलग बात है ।

रेमंड लोपेज: यह स्थिति हो सकती है कि अाप नहीं चाहते हैं कि कोई अौर अापके पास जो चीज़ है उसका उपयोग करे किसी विशेष कारण से । आप उस समय स्वयं उसका उपयोग कर रहे हैं । यही स्थिति हो सकती है कि आप नहीं चाहते ...

मधुद्विष: हमारा यह मानना है कि सब कुछ भगवान का है । अगर कोई और इस अवधारणा में विश्वास नहीं करता है और उपयोग करने के लिए कोशिश करता नहीं है, ...

प्रभुपाद: यह गलत है, मैं कहता हूं । यह उसकी गलत अवधारणा है ।

वैली स्ट्रोब्स: ठीक है, कैसे समाधान हो इसका, या इस स्थिति में क्या किया जाए.... अगर सब कुछ भगवान का है, हमें समाज को चलाना है, और ...

प्रभुपाद: लेकिन आप मत भूलो कि सब कुछ भगवान का है । क्योंकि आपको समाज चलाना है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप असली बात भूल जाऍ ।

रेमंड लोपेज: तो मुझे इस विचार से कोई आपत्ति नहीं है । लेकिन बात यह है कि जिस प्रणाली में हम काम कर रहे हैं उनमे अलग अवधारणाऍ हैं ।

प्रभुपाद: इसे सुधारा जाना चाहिए । इसे सुधारा जाना चाहिए ।

रेमंड लोपेज: इसे, माफ कीजिए ?

प्रभुपाद: सुधारा ।

मधुद्विष: सुधारा ।