Template:HI/Hindi Main Page - Random Audio Clips from Srila Prabhupada
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि यह भौतिक शरीर परायी वस्तु है । हमने आपको यह पहले भी विस्तार से बताया है कि यह केवल एक पोशाक (आवरण) है । पोशाक । पोशाक मेरे शरीर के लिए परायी वस्तु है । उसी प्रकार यह स्थूल और सूक्ष्म शरीर - स्थूल शरीर भौतिक पाँच तत्वों से बना है और सूक्ष्म शरीर मन, अहंकार और बुद्धि - वे मेरी परायी वस्तुएँ हैं । अत: अब मैं इन परायी वस्तुओं में जकड़ा हुआ हूँ । इन बाह्य वस्तुओं से निकलना ही मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य है । मैं अपने वास्तविक अध्यात्मिक शरीर में ही स्थित रहना चाहता हूँ । अगर आप अभ्यास करो तो वह प्राप्त किया जा सकता है । |
660401 - प्रवचन भ.गी. २.४८-४९ - न्यूयार्क |
Random ND Box for Master Main Page with audio and Quotes Place this code on a page: {{HI/Hindi Main Page - Random Audio Clips from Srila Prabhupada}}