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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"नित्य सिद्ध जिव केवल कृष्ण से प्रेम करके संतुष्ट है। यही उनकी संतुष्टि है। हर कोई प्रेम करना चाहता है। यह एक स्वाभाविक झुकाव है। हर कोई। जब कोई प्यार करने की वस्तु नहीं होती है, तो इस भौतिक दुनिया में हम कभी-कभी बिल्लियों और कुत्तों को प्यार करते हैं।आप समझ सकते हैं? क्योंकि मुझे किसी से प्यार करना है।अगर मुझे कोई योग्य व्यक्ति प्रेम करने के लिए नहीं मिलता तोह फिर मैं अपना प्रेम किसी शौक मैं बदल देता हु, या किसी जानवर, इस तरह, क्योकि प्रेम है वहा । तो यह निष्क्रिय है। कृष्ण के लिए हमारा प्यार निष्क्रिय है। यह हमारे भीतर है, लेकिन क्योंकि हमारे पास कोई जानकारी नहीं है कृष्णा के बारे मैं, इसलिए हम हमारा प्यार ऐसे चीज़ पे जता रहे है जो निराशा देती है । यह प्यार का उद्देश्य नहीं है इसलिए हम निराश हैं। "
670109 - Lecture CC Madhya 22.11-15 - New York



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