HI/580724 - सेठ मंगुमल अमरसिंघ को लिखित पत्र, बॉम्बे
भक्तो का संगठन।
(संस्था अधिनियम सं. XXI १८६० के तहत)
जुलाई २४, १९५८
सेठ मंगुमल अमरसिंह
३४५, कल्वादेवी रोड, ४वीं मंज़िल,
बॉम्बे।
श्रीमान,
मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंधक श्री संजीब बनर्जी ने मुझे १ से २ बजे के बीच आपसे मुलाकात करने की सलाह दी है और मुझे बताया कि उन्होंने मेरे बारे में आपसे टेलीफोन पर बातचीत की थी। मैं वृंदाबन से एक पंथ के प्रचार हेतु आया हूं और इस उदेश्य से संबंधित सारे कागजात इस पत्र के साथ संलग्न हैं। कृपया इसे प्राप्त करें। श्री बनर्जी ने आपके सुरुचिपूर्ण व्यक्तित्व के प्रशस्ति के पश्चात वृंदावन व भक्ति के संदेश के प्रचार के विषय पर आपकी रुचि को भी प्रकाशित किया था।
वर्तमान वृंदाबन शहर, श्रील रूप और सनातन गोस्वामियों की अध्यक्षता के अंतर्गत सभी गोस्वामियों के उत्खनन का फल है। वृंदावन के ६ गोस्वामियों ने, भगवान चैतन्य के आदेश के अंतर्गत – वृंदावन में पूर्ण निवास कर भक्ति पंथ की स्थापना के साथ साथ शुद्ध भक्ति के विस्तृत शास्त्रों पर शोध कर के इस ज्ञान के विश्व प्रचार हेतु, आने वाले सभी आचार्यों के लिए असंख्य शास्त्रों की स्थापना की थी। मेरे आध्यात्मिक गुरु श्री भक्तिसिद्धान्त गोस्वामी महाराज ने भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु के उद्देश्य को अमल करने का भरसक प्रयास किया और हमारे परम सौभाग्य ने हमें उनकी सेवा में जुटाए रखा था। अपने अपूर्व क्रियाओं के नैत्य में संलग्न रहने के साथ साथ उन्होंने मुझे विदेश में अंग्रेज़ी के माध्यम से इस पंथ के प्रचार का ज़िम्मा सौंपा था और अब मेरी सारी ऊर्जा उनके इस आदेश पर केंद्रित है। मैंने अब तक जो कुछ भी किया है, वह सब संलग्न पत्र द्वारा अभिव्यक्त किया जायेगा। लेकिन इस कार्य के व्यावहारिक प्रतिफल को प्राप्त करने के लिए मैं बहुत कठिन संघर्ष कर रहा हूं, की वहीं श्री संजीब बनर्जी ने मुझे बताया कि भगवान चैतन्य के संदेश समेत भक्ति के इस पावन पंथ का प्रचार करने के लिए आप उचित सहयोगी हैं।
सुनने की प्रवृत्ति को बहुत ही आसान बनाया गया है और आध्यात्मिक संगीतों द्वारा इसे अधिक अनुकूल बनाया जा सकता है, और इन संगीतों का लाभ अनपढ से लेकर पंडित - हर किसी के पास पहुंचाया जा सकता है। यह आंदोलन उदात्त और साथ ही साथ आसान है।
इस आंदोलन को सही तरीके से आयोजित करने के लिए भक्तों का संघटन पंजीकृत किया गया है और अब श्रीमान आप से सहयोग की आशा है।
शीघ्र उत्तर की प्रतीक्षा करते हुए आपको प्रत्याशा में धन्यवाद आदा करता हूँ।
आपका आभारी,
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
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