HI/640313 - वैष्णव सम्प्रदाय से अपील, दिल्ली
मार्च 13, 1964
वैष्णव समाज व विशिष्ट रूप से बम्बई एवं गुजरात के वल्लभ सम्प्रदाय से एक अपील।
श्रीमद्भागवतं पुराणममलं यद्वैष्णवानां प्रियं
यस्मिन्पारमहंस्यमेकममलं ज्ञानं परं गीयते
तत्र ज्ञानविरागभक्तिसहितं नैष्कर्म्यमाविस्कृतं
तच्छृण्वन्सुपठन्विचारणपरो भक्त्या विमुच्येन्नरः
श्रीमद् भागवतम् समस्त वैष्णवों व विशेषकर वल्लभ एवं गौड़ीय वैष्णवों को अत्यधिक प्रिय है। वृंदावन व मथुरा की महिमा इन दो सम्प्रदायों ने बढ़ाई है। लेखक ने, सभी वैष्णवों का एक दीन सेवक के रूप में, विश्व भर में प्रचार हेतु, इसका एक विस्तृत अंग्रेज़ी में एक संस्करण तैयार करने का पूरा प्रयास किया है। इस प्रकाशन के पहले और दूसरे भाग पहले ही आ चुके हैं और इस विराट परियोजना को पूरा करने के लिए अभी भी 58 अट्ठावन भागों का प्रकाशन बाकी है। इसीलिए मैं विशेषकर वल्लभ वैष्णवों से अपील कर रहा हूँ कि इस विराट परियोजना में मेरी सहायता करें। मैं एक सन्न्यासी हूँ और समस्त मानव जाति के कल्याण हेतु, कर्तव्य के रूप में इस इतने बड़े कार्य को करने का प्रयास कर रहा हूँ। मैं आपके महत्तवपूर्ण सहयोग की अपक्षा करता हूँ।
ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
संलग्न:- आद्यार लाइब्रेरी बुलेटिन से एक रिव्यू
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