HI/660318 - सुमति मोरारजी को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क
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ए.सी.भक्तिवेदांत स्वामी
१०० पश्चिम ७२वीं गली
कमरा # ३०७
न्यू यॉर्क एन.वाई. १००२३
मार्च १८, १९६६
मैडम सुमति मोरारजी बाईसाहेबा,
कृपया मेरा अभिवादन और भगवान बाला कृष्ण का आशीर्वाद स्वीकार करें। मुझे आशा है कि भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से आपके साथ सब कुछ अच्छा होगा।
मुझे आपका पिछला पत्र ९ अक्टूबर १९६५ को मिला था, तब आपने मुझे यह कहते हुए बहुत प्रोत्साहित किया कि “मुझे लगता है कि आपको तब तक वहाँ रहना चाहिए जब तक आप अपनी बीमारी से पूरी तरह से उबर नहीं जाते और आप अपने मिशन को पूरा करने के बाद ही वापस लौटें।" मुझे लगता है कि आपके द्वारा लिखी गई ये पंक्तियाँ भगवान बाला कृष्ण के शब्दों को आप के माध्यम से व्यक्त की गई हैं।
आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने अपने स्वास्थ्य को सुधार लिया है और मेरा प्रचार का कार्य अच्छी तरह से प्रगति कर रहा है। मुझे उम्मीद है कि न्यूयॉर्क में श्री श्री राधा कृष्ण का मंदिर शुरू करने की मेरी परियोजना भी प्रभु की कृपा से साकार होगी। कानपुर के सर पदमपत सिंघानिया जे.के. संगठन, न्यूयॉर्क में श्री श्री राधा कृष्ण के एक अच्छे मंदिर के निर्माण के लिए सहमत हो गए है। मैं हर तरह से विनिमय समस्या को हल करने की कोशिश कर रहा हूं और मुझे इस उद्देश्य की सफलता की कुछ उम्मीदें भी दिख रही हैं।
जब से मैं बटलर पेन्सिलवेनिया से न्यूयॉर्क आया हूँ, मैंने ऊपर का कमरा ७०.०० डॉलर प्रति माह किराए पर लिया है और मैं संकीर्तन के साथ भागवत गीता और श्रीमद् भागवतम् पर व्याख्यान दे रहा हूं और अमेरिकी महिलाएं और सज्जन मुझे सुनने आते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वे संकीर्तन की भाषा नहीं समझते हैं और फिर भी वे ध्यान से सुनते हैं। जो आंदोलन मैंने यहां शुरू किया है, वह उनके लिए पूरी तरह से नया है क्योंकि अमेरिकी आमतौर पर भारतीय योग कसरत से परिचित हैं जैसा कि यहां कुछ भारतीय योगियों द्वारा किया जाता है। उन्होंने भक्ति पंथ या कृष्ण के विज्ञान के बारे में पहले कभी नहीं सुना और अब भी वे मुझे सुन रहे हैं- इसलिए मेरे लिए यह बहुत बड़ी सफलता है।
अब मुझे अपने प्रचार गतिविधियों में सहायता करने के लिए भारत से कुछ संकीर्तन उपकरण और तीन पुरुषों की आवश्यकता होगी। और अगर मंदिर शुरू किया जाता है तो मुझे भारत से कई चीजें लानी होंगी और मेरी इच्छा है कि आप इसकी व्यवस्था के विषय में मेरे पुरुषों और सामानों के मुफ्त परिवहन के संबंध में।
मैंने पहले ही कलकत्ता में अपने एक भक्त को संकीर्तन के लिए दो मृदंग भेजने के लिए कहा है और मैंने उन्हें सलाह दी है कि आप कलकत्ता में अपने प्रबन्धक के साथ समान जमा करें ताकि वह अपके किसी एक जहाज द्वारा न्यूयॉर्क भेजा जा सके। कृपया कलकत्ता और कोचीन में अपने प्रबंधकों को निर्देश जारी करें कि वे मेरे उपर्युक्त चीज़ों को मुफ्त भेजें और उपकृत करें।
जब मैंने भारत में अमेरिका के लिए शुरुआत की, तो आपने मेरे पत्र का नियमित रूप से जवाब देने का वादा किया था लेकिन मुझे अपने दो पत्रों का जवाब नहीं मिला। इसलिए कृपया देखें कि आपको संबोधित मेरे पत्रों का विधिवत उत्तर दिया जा सके। मैं इस वृद्धावस्था में न तो दर्शनीय स्थलों के लिए आया हूं और न ही किसी निजी हित के लिए। यह पूरी मानवता के हित के लिए है कि मैं कृष्ण के विज्ञान को लागू करने की कोशिश कर रहा हूं जो वास्तव में उन्हें खुश करेगा। तो यह भगवान कृष्ण के हर भक्त का कर्तव्य है कि वह हर तरह से मेरी मदद करे। कृपया इस पत्र का उत्तर दें और उपकृत करें। आशा है कि आप अच्छे हैं। कृपया अपने सभी कर्मचारियों को, विशेष रूप से सर्व श्रीमान चोकसी, नागराजम और आचार्य को मेरी शुभकामनाएं दें। एक बार फिर आपको धन्यवाद,
आपका भवदीय
प्रभु की सेवा में
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
श्रीमती सुमति मोरारजी
सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी
बैलार्ड एस्टेट, बॉम्बे -I
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