"वैदिक शास्त्रों में परम पुरषोत्तम भगवान को सर्वोच्च मार्गदर्शक कहा गया है। नित्यो नित्यानां चेतनस चेतनानाम। नित्य का अर्थ है शाश्वत, और नित्यानाम का अर्थ है, अन्य शाश्वत जीव। हम वे अन्य शाश्वत जीव हैं। एक, वह एक शाश्वत... एको बहुनाम विदधाति कामान। दो प्रकार के शाश्वत होते हैं। हम जो जीवात्मा है, हम भी शाश्वत हैं, और परम पुरुषोत्तम भगवान भी शाश्वत हैं। जहाँ तक शाश्वतता का संबंध है, हम गुणात्मक रूप से सामान हैं। वे शाश्वत हैं और हम भी शाश्वत हैं। सच्चिदानन्दविग्रह: (ब्र.सं. ५.१) । वे भी पूर्ण आनन्दमय हैं, और हम भी आनन्द से परिपूर्ण हैं, क्योंकि हम उन्हीं के गुण के अंश हैं। परन्तु वे हमारे अधिनायक हैं।"।
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