"अभी आत्मा पर स्थूल और सूक्ष्म शरीर का आवरण है। जब स्थूल शरीर कार्य करना बन्द कर देता है... जैसे की रात्रि के समय स्थूल शरीर विश्राम कर रहा होता है, परन्तु सूक्ष्म शरीर कार्य करता रहता है। इसलिए आपको स्वप्न आते है। सूक्ष्म शरीर कार्य करता रहता है। इसलिए जब आप इस स्थूल शरीर का त्याग करते हैं, तब आपका सूक्ष्म शरीर आपकी बुद्धि और मन को सरलता से ले जाता है। जिस प्रकार वायु सुगन्ध को लेकर चलती है। जिस प्रकार वायु गुलाब के फूलों के पास से जाती है तो वह गुलाब की सुगन्ध को लेकर आती है। गुलाब वहाँ नहीं है, किन्तु सुगन्ध है। ठीक उसी प्रकार आपका सूक्ष्म शरीर आपकी मनोवृत्ति और बुद्धि को लेकर चलता है। वह सूक्ष्म शरीर है, और आपको वैसा ही शरीर प्राप्त होता है। इसलिए मृत्यु के समय परीक्षण होता है कि, व्यक्ति ने कृष्णभावनामृत में कितनी प्रगति की है।"
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