HI/661126 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"वैदिक ज्ञान श्रवण से आ रहा था। पुस्तकों की कोई आवश्यकता नहीं थी। किन्तु,जब पाँच हज़ार वर्ष पूर्व कलियुग का प्रारम्भ हुआ। तब उन्हें व्यवस्थित रूप से लिपिबद्ध किया गया। वेद... सर्वप्रथम केवल एक ही वेद था, अथर्व वेद। इनके स्पष्टिकरण के लिए व्यासदेव जी ने इन्हें चार भागों में विभाजित किया और अपने विभिन्न शिष्यों को चारों वेदों का उत्तरदायित्व सौंप दिया। फिर उन्होंने महाभारत और पुराणों का निर्माण किया, जिससे सामान्य जनता वैदिक ज्ञान को विभिन्न प्रकार से ग्रहण कर सके।" |
661126 - प्रवचन चै.च. मध्य २०.१२४-१२५ - न्यूयार्क |