HI/661126 - श्री धरवाड़कर को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
२६ द्वितीय मार्ग कोष्ठ १बी आर.
न्यू यॉर्क एन.वाय. १०००२३ यू.एस.ए.
२६ नवंबर, १९६६
द यूनिवर्सल बुक हाउस
सीता भवन, तुलसीपिप रोड
दादर, बॉम्बे -२८, भारत
प्रिय श्री धारवाड़कर,
कृपया मेरा अभिवादन स्वीकार करें। कृपया २६ फरवरी १९६६ के अपने पत्र के संदर्भ में।
यदि आप बिक्री के लिए अपने साथ बची सभी पुस्तकों को नहीं बेच पाए हैं, तो कृपया पुस्तकों को निचे दिए गए पते पर वापस कर सकते हैं
सिंधिया हाउस डौगल रोड, बैलार्ड स्टेट, बॉम्बे के श्रीमती मोरारजी (सुमति)।
या यदि आपको लगता है कि आप उन्हें बेचने में सक्षम होंगे, तो आप किताबों को विक्रय विभाग
के खाते पर रख सकते हैं और, उस स्थिति में आप तुरंत श्री सुमति मोरारजी को पुस्तक के दो सेट (श्रीमद भागवतम) को उपर्युक्त और उपमा के अनुसार सौंप देंगे।
मुझे वितरित पुस्तकों और बैंक में जमा की गई राशि का बैंक से एक लेखा-विवरण प्राप्त करने में खुशी होगी
कृपया इसे अत्यावश्यक मानें, और उपकृत करें।
आपके प्रारंभिक उत्तर की प्रतीक्षा, और आपको प्रत्याशा में धन्यवाद।
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