HI/661204 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"भगवान् गति हैं। गति का अर्थ है गंतव्य। हमें अपने गंतव्य या लक्ष्य का ज्ञान नहीं है। अपने अज्ञान और भ्रमित शक्ति द्वारा अभिभूत होने के कारण, हमें अपने जीवन के गंतव्य (लक्ष्य) का ही ज्ञान नहीं है। न ते विदु: स्वार्थगतिं हि विष्णुं (श्री.भा. ७.५.३१)। लोग जानते नहीं है की उनके जीवन का लक्ष्य क्या है। परम पुरुषोत्तम भगवान् के साथ पुन: अपने खोए हुए संबन्ध को जोड़ना ही जीवन का लक्ष्य है। वही एक मात्र लक्ष्य है।" । |
661204 - प्रवचन भ.गी. ९.१८-१९ - न्यूयार्क |