HI/661222 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"भगवान् द्वारा अनेक प्रकार से प्रदर्शित की गईं शक्तियों की गणना करने का प्रश्न ही नहीं उठता। क्योंकि जब हम कोई वस्तु को समझा नहीं सकते तो हम उसे पूर्णता से रद्द कर देते है। 'उसमें शून्यता है, ख़ालीपन है, कुछ नहीं है।' क्योंकि मेरा मन, मेरी बुद्धि इससे आगे जा ही नहीं सकते, तो हम कहते हैं, 'शायद यह इस प्रकार था ।' तो ये सब मानसिक परिकल्पना है।" |
661222 - प्रवचन चै.च. मध्य २०.३१८-३२९ - न्यूयार्क |