HI/661228 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"आध्यात्मिक और भौतिक जीवन इस प्रकार से है कि, जब आप भौतिक वस्तुओं के स्वामी बन कर उनका आनंद उठाना चाहते हैं तो वह भौतिक जीवन है। और जब आप भगवान् के सेवक बनना चाहते हैं, तो वह आध्यात्मिक जीवन है। आध्यात्मिक और भौतिक कार्यकलापो में कुछ विशेष अन्तर नहीं है। केवल चेतना को ही बदलना है। जब मेरी चेतना भौतिक प्रकृति पर स्वामित्व जताने की है तो वह भौतिक जीवन है, और जब मेरी चेतना परम भगवान् श्री कृष्ण की सेवा करने की है तो वह कृष्णभावनामृत है, वह अध्यात्मिक जीवन है।" |
661228 - प्रवचन चै.च. मध्य २०.३५४-३५८ - न्यूयार्क |