HI/670102b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यद्यपि कोई कृष्ण भावनामृत के इस ज्ञान को अपनाता है और ईश्वर के प्रति प्रेम का विकास करता है, तो वह हर क्षण, हर कदम पर, हर चीज में ईश्वर को देख सकता है। वह एक क्षण के लिए भी ईश्वर की दृष्टि से दूर नहीं होता है। जैसे की भगवद गीता में कहा गया है, तेषु ते मयि। जिस भक्त ने प्रेम किया है, जिसने भगवान के लिए प्रेम विकसित किया है, वह प्रति क्षण भगवान को देख रहा है। उसी प्रकार, भगवान भी उसे प्रति क्षण देख रहे हैं। वे अलग नहीं हैं। इतनी सरल प्रक्रिया। यह हरि-कीर्तन, इस युग में सुझाई गई सरल प्रक्रिया है, और यदि हम निष्ठा से इसे बिना किसी अपराध के और विश्वास के साथ करते हैं, तो भगवान के दर्शन मिलना भक्त के लिए मुश्किल नहीं है।"
670102 - प्रवचन चै.च मध्य २०.३९१-४०५ - न्यूयार्क