HI/670110 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यहां पर भगवान चैतन्य कहते हैं कि, कृष्ण-भक्ति हय अभिधेय-प्रधान (चै.च.मध्य २२.१७) । आत्म साक्षात्कार के लिए, अगर आप अपने आप का बोध लेना चाहते है या अगर आपको भौतिक चुंगल से मुक्त होना है, तो मुख्य कार्य यह है की आप कृष्णभावनाभावित बने और सीधे भगवान् की सेवा मैं लग जाए। और भक्ति-मुख-निरीक्षक कर्म-योग-ज्ञान। और अन्य प्रक्रियाओं को भी स्वीकार किया गया है, लेकिन वे इस प्रक्रिया पर निर्भर हैं।"
670110 - प्रवचन चै.च. मध्य २२.१४-२० - न्यूयार्क