"इसलिए यदि कृष्ण हर वस्तु के स्रोत हैं, तो यदि आप कृष्ण से प्रेम करते हैं, तो आप ब्रह्मांड से प्रेम करते हैं। वास्तव में ऐसा ही है। यदि आप अपने पिता से प्रेम करते हैं, तो आप अपने भाई से भी प्रेम करते हैं। यदि आप अपने देश से प्रेम करते हैं, तो आप अपने देशवासियों से भी प्रेम करते हैं। मान लीजिए की हम विदेश में हैं, और यहाँ एक सज्जन भारत से है, मे भारत से हूँ । तो स्वाभाविक रूप से हम पूछते हैं, "ओह, आप भारत से आये हैं ? आप भारत के किस हिस्से से आये हैं ?" उस व्यक्ति के लिए आकर्षण क्यों है ? क्योंकि मुझे भारत से प्रेम है । और क्योंकि वह भारतीय है, इसलिए मैं उससे प्रेम करता हूं । तो प्रेम की शुरुआत उस मूल स्रोत से होता है।"
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