HI/670130 - ब्रह्मानन्द को लिखित पत्र, सैंन फ्रांसिस्को
[अस्पष्ट]
कृष्णभावनामृत इंक.
518 फ्रेड्रिक स्ट्रीट,सैन फ्रांसिस्को
कैलिफोर्निया,30 जनवरी, 1967
मेरे प्रिय ब्रह्मानन्द,
मुझे तुम्हारा 28 तारीख का पत्र मिला है। मैं रिकॉर्डों को प्राप्त करने के लिए बहुत उत्सुक था, लेकिन उनके पंहुचने में अभी भी विलम्ब हो रहा है। कल का हमारा कार्यक्रम बहुत सफल था। लगभग 1500 (या अधिक) (हस्तलिखित) श्रोतागण थे और उन सभी ने एक घंटा और पंद्रह मिनट तक लगातार कीर्तन व नृत्य किया। मैं कल रात 11-30 पर लौटा। मुझे लगता है कि श्रीमान् हरिदास ब्रह्मचारी (हारवी) न्यु यॉर्क भवन के फंड के लिए $1000.00 का योगदान करेंगे। मुझे खेद है कि मालिक के वकील द्वारा, मामले में देरी की जा रही है। क्या मकान मालिक वकील के कहने के अनुसार चलेगा? यदि ऐसा है तो इस प्रकार समय व्यर्थ करने का क्या फ़ायदा। यदि वे गंभीर हैं तो उन्हें यह मामला बिना देरी किए निबटा लेना चाहिए। मेरी इच्छा है कि हम मकान में 1 मार्च 1967 तक अवश्य ही प्रवेश कर लें।
कृपया हमारे द्वारा कीर्तन करने की प्रत्येक फिल्म की एक-एक प्रतिलिपि प्राप्त करने का प्रयास करो। यदि आवश्यक हो तो हम इसके लिए कुछ (धन) भी दे सकते हैं। बेहतर तो यहि होगा कि वे संघ क् लिए एक फिल्म का योगदान दें, चूंकि हमने स्वयं कोई पैसे नहीं लिए थे। यदि हमें फिल्म मिल जाए तो हम जगह-जगह पर उसे प्रदर्शित करने के लिए एक प्रोजेक्टर खरीद सकते हैं। कृपया जितनी जल्दी हो सके, रिकॉर्डों को यहां भेजो। यहां पर भारी मात्रा में रिकॉर्डों की बिक्री होने की संभावना है। ये सब नकद खरीद रहे हैं। कृपया शीघ्रता बरतो।
शिष्टाचार की इस एक बात पर तुम्हें ध्यान देना चाहिए। गुरु महाराज को कृष्णकृपाश्रीमूर्ति कह कर संबोधित किया जाता है। जबकि गुरुभाई को श्रीमद् और किसी सन्न्यासी को पूज्यपाद कहकर संबोधित किया जाता है। मैं मकान के समझौते की प्रगति व रिकॉर्डों की प्राप्ति को लेकर बहुत चिंतित हूँ। आशा करता हूँ कि तुम अच्छे से हो।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
(हस्ताक्षर)
ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
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