HI/670210 - कीर्त्तनानन्द को लिखित पत्र, सैंन फ्रांसिस्को
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10 फरवरी, 1967
मेरे प्रिय कीर्त्तनानन्द,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा 7 (मार्च) फरवरी 1967 का पत्र मिला है और मैं यह जानकर बहुत प्रसन्न हूँ कि तुम इतनी अच्छी तरह से अपने विभाग का सुधार कर रहे हो। मुझे यह भी पता चला है कि तुमने मेरे निर्देशानुसार कचौरी बनाई और वह बहुत बढ़िया बनी। मैंने रणछोड़ को नान खटाई एवं पेड़ा नामक दो और चीजें सिखाई हैं, जिन्हें तुम्हें उससे क्रमशः सीखना होगा। श्रीमती जदुरानी लिखतीं हैं कि "हमारे पिछले रविवार भोज में, स्वामी सच्चिदानन्द के कई शिष्य उपस्थित थे और आज सुबह कीर्त्तन के लिए लौटे हैं। हमारे जाल से बच निकलना बहुत कठिन है।" मुझे लगता है कि तुम भी उससे से सहमत होगे। मैं यह जानकर बहुत प्रसन्न हूँ कि मि. रिचर्ड विट्टी द्वारा बनाई गई फिल्म बहुत सफल सिद्ध हुई है। यह बस कृष्ण का ही आशीर्वाद है। मैं सोचता हूँ कि हम फिल्म की एक प्रति मि. विट्टी से कुछ कम दाम पर खरीद सकते हैं।
मकान के संदर्भ में मैं अपने इस कथन में ठीक ही था कि, कोई ठोस बातचीत नहीं हुई है। यदि मि. टेलर उनके व मि. पेयन के बीच हुई बातचीत में दी गई ज़बान से पलट सकते हैं, तो निश्चय ही यह कोई पक्की बात नहीं हुई है। मि. टेलर का वकील इन दोनों सज्जनों के बीच हुई बात को बदल नहीं सकता। वह केवल उसे एक न्यायिक आकार भर दे सकता है। इसीलिए, ऐसे लेनदेन में सब कुछ काग़ज़ी लिखा पढ़ी के रूप में किया जाता है। कोई भी काग़ज़ी कारवाई करे बिना, सबकुछ मि. पेयन पर भरोसा करके किया जा रहा है।
जो पहले हुआ वह सब भूल जाओ। अब सबकुछ पेशेवर शैली में करो। मकान जिस हालत में है, ठीक उसी अवस्था में उसके लिए मि. टेलर के वकील ने 105,000 डॉलर स्वीकार करने के लिए हामी दे दी है। और मि. पेयन वह राशि पिट्टस्बर्ग से प्राप्त करके जमा करने को तैयार हैं। । 1 मार्च 1967 से पहले-पहले इस योजना को पूरी करवा कर इस अध्याय को समाप्त करो। मैं सोचता हूँ कि इस संदर्भ में यह मेरा अन्तिम निर्देश है। तुम सब वयस्क युवा हो और अपनी समझबूझ का प्रयोग करो। और इस खरीददारी को अनिश्चितकाल तक लटकाए बिना, इसे अब पूरा करो। लेकिन, यदि हम एक मकान नहीं खरीद पाते हैं तो उसका यह अर्थ नहीं है कि हम 26 सेकेण्ड ऐवेन्यू की गतिविधियों को बन्द कर दें। तो सामान बाध कर सैन फ्रांसिस्को चले आने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। तुम्हारे संपादन के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि मुझे वह बहुत पसन्द है। मैं तुम्हें वक्तव्यों की प्रतियां भेज रहा हूँ। मैं सोचता हूँ कि मेरी बाकी कॉपियां मेरे आसन के बांई ओर एक कार्डबोर्ड के बक्से में पड़ी हैं। कृपया उन्हें ढूंढ लो। कृपया ध्यान रखना कि विचारों में परिवर्तन न कर दो।
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