HI/670211 - कीर्त्तनानन्द को लिखित पत्र, सैन फ्रांसिस्को
अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
२६ पंथ, न्यूयॉर्क, एन.वाई. १०००३
टेलीफोन: ६७४-७४२८
५१८ फ्रेडरिक गली,
सैन फ्रांसिसको,कैलीफ़ोर्निया,
फरवरी १०, १९६७
आचार्य :स्वामी ए.सी. भक्तिवेदांत
समिति:
लैरी बोगार्ट
जेम्स एस. ग्रीन
कार्ल एयरगन्स
राफेल बालसम
रॉबर्ट लेफ्कोविट्ज़
रेमंड मराइस
माइकल ग्रांट
हार्वे कोहेन
मेरे प्रिय कीर्त्तनानंद,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मुझे आशा है कि इस समय तक आपको मेरा पूर्व पत्र और संपादन के लिए व्याख्यान का संकुल मिल जाएगा। मुझे मॉन्ट्रियल में जैनिस डंबर्ज़ से एक पत्र मिला है जिसमें एक शाखा का प्रस्ताव है और उन्होंने इस उद्देश्य के लिए एक बहुत अच्छी जगह का चयन किया है। वह न्यूयॉर्क के दो शिष्यों की मदद और चार सौ डॉलर चाहते हैं । मैं इसलिए कामना करता हूं कि आप एक सप्ताह में एक बार वहां जाएं और यदि आप इस स्थान और संभावना को स्वीकार करते हैं, तो हम वहां भी एक शाखा शुरू कर सकते हैं। उन्होंने इस संबंध में $ ४००.०० की मदद मांगी है। और यदि आप अनुमोदन करते हैं तो न्यूयॉर्क और सैन फ्रांसिस्को दोनों प्रत्येक $ २००.०० का योगदान करेंगे और इसे मॉन्ट्रियल शाखा द्वारा बाद में वापस किया जा सकता है। मैं चाहता हूं कि प्रत्येक शाखा अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखे और आचार्य को केंद्र में रखकर सहयोग करे। इस सिद्धांत पर हम पूरे विश्व में कितने भी शाखाएँ खोल सकते हैं। रामकृष्ण मिशन इस सिद्धांत पर काम करता है और इस तरह संगठन के रूप में उन्होंने अद्भुत काम किया है।
बॉब वहाँ भी जाने के लिए तैयार है लेकिन मैं उसे मॉन्ट्रियल आपसे सुनने पर वहाँ आपकी सहायता करने के लिए भेजूँगा। जनार्दन दास अधकारी (जेनिस दुमबेर्ग) का पता इस प्रकार है:
३११ सेंट लुइस स्क्वायर
कोष्ट # २
मॉन्ट्रियल क्यूबेक, कनाडा
बात यह है कि अप्रैल १९६७ में एक शानदार प्रदर्शन होगा और दुनिया के सभी हिस्सों से लाखों लोग वहां इक्कटे होंगे। हमें अंग्रेजी और फ्रेंच दोनों में साहित्य तैयार करना होगा और हमारे सदस्यों के रूप में विश्वविद्यालय के छात्रों का ध्यान आकर्षित करना होगा। श्री जेनिस का प्रस्ताव है कि मार्च १९६७ के अंत तक शाखा संगठन को पूरा होना चाहिए और तीसरे सप्ताह के अंत तक (अप्रैल का) मैं हमारे न्यूयॉर्क केंद्र (वर्तमान बातचीत के अनुसार) के उद्घाटन के बाद वहां जाऊंगा। मुझे लगता है कि विचार अच्छा है और हम अवसर लेंगे और वहां जाने और भावी स्थिति का तुरंत अध्ययन करने के लिए मैं आपको चुनता हूँ। मुझे इस संबंध में आपके निर्णय के बारे में प्रति डाक जानकर खुशी होगी या यदि आप इस पत्र की प्राप्ति पर तुरंत शुरू करते हैं तो आप मुझे मॉन्ट्रियल से लिख सकते हैं।
नील अभी तक यहां नहीं आया है।
आप का स्नेही,
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
- HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के पत्र
- HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/1967-02 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका से
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका, सैंन फ्रांसिस्को से
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - कीर्त्तनानन्द को
- HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के पत्र - मूल पृष्ठों के स्कैन सहित
- HI/श्रील प्रभुपाद के सभी पत्र हिंदी में अनुवादित
- HI/सभी हिंदी पृष्ठ