HI/670215 - सत्स्वरूप को लिखित पत्र, सैंन फ्रांसिस्को
शाखा: 518 फ्रेड्रिक स्ट्रीट
सैन फ्रांसिस्को,कैलिफोर्निया
15 फरवरी, 1967
मेरे प्रिय सत्स्वरूप,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे आशा है कि मैंने विभिन्न पत्रों में तुम्हारे लिए जो नोट लिखे थे वे तुम्हें प्राप्त हो गए होंगे। मुझे अभी तक नारद भक्ति सूत्र की प्रति प्राप्त नहीं हुई है, जिसपर तुम चाहते हो कि मैं टीका करुं। मुझे आशा है कि तुम चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाएं पुस्तक की टेपों का यथायोग्य संपादन कर रहे हो। संपादन के पश्चात टेपों की टाइपिंग को प्रतिलिपि में बनाकर एक कॉपी मेरे पास भेजो, जिससे मैं देख पाऊं कि तुम किस प्रकार कार्य कर रहे हो।
मेरे पास अब मात्र पाँच टेप हैं जिनमें से आज मैं एक लौटा रहा हूँ। कृपया मुझे सूचित करो कि अभी वहां पर कितनी टेप हैं। नील को यहां आना था, पर वह नहीं आया है। इसलिए मैं टेप तुम्हें टाइपिंग व संपादन, दोनो कार्यों के लिए भेज रहा हूँ। मैं आशा करता हूँ कि तुम यह अच्छे ढ़ंग से करोगे। कृष्ण तुमपर प्रसन्न हों।
मैं ब्रह्मानन्द को 6200 डॉलर मेरे बचत खाते में ट्रांस्फर करने का निर्देश दिया है। कृपया ध्यान देना कि यह तुरन्त कर दिया जाए। मैंने उसे ट्रांस्फर पत्र भेज दिया है। उसे उसपर मात्र हस्ताक्षर करने हैं। अथवा तुम उसपर हस्ताक्षर करके उसे बैंक को दे सकते हो। मैंने दो कारणों से तुम्हें बैंक के साथ लेनदेन करने की अनुमति दी है। 1 ताकि मैं आर्थिक लेनदेन से मुक्त रहुं 2 जिससे तुम इस प्रकार के लेनदेन सीख सको। किन्तु हाल ही में अविचारपूर्ण शैली में चेकों के जारी किए जाने से मेरा मन उद्विग्न हो उठा है। अविचारपूर्ण ढंग से 1000 डॉलर के चेक जारी किए जाने से संघ का धन जोखिम में पड़ गया है।
ब्रह्मानन्द से हुए पत्राचार से मैं देख सकता हूँ कि ऐसे अनेकों कारण हैं जिनकी वजह से हम यह मकान प्राप्त नहीं कर सकते। सबसे बड़ा कारण है कि हमारे पास नकद देने को धन है नहीं और चूंकि वह मकान पूरा नहीं है और उससे कोई आय भी नहीं है, इसलिए कोई उसमें धन लगाएगा भी नहीं। यह सोचना कि मकान हमारे हाथ में आ जाएगा, कोरी कल्पना मात्र है और मि. पेयन हमें झूठी आसा दे रहा है। यहां के भक्तों व ट्रस्टियों का यही मत है और कई कारणों से मैं इसे सही समझता हूँ। इसलिए कृपया ध्यान दो कि उपरोक्त धन तुरन्त ट्रांस्फर कर दिया जाए। जब वास्तविक सेल कॉन्ट्रैक्ट होगा तो मैं धन वापस ट्रांस्फर कर दूंगा, जैसा मैंने कुछ दिन पहले किया था।
तुम सभी ,दुनिया के अनुभव से विहीन, निर्बोध लड़के हो। चतुर दुनिया तुम्हें किसी भी क्षण तुम्हारे साथ छल कर सकती है। तो कृपया, कृष्णभावनामृत, में दुनिया से सतर्क रहो। जब कृष्ण की इच्छा होगी, तो मकान स्वतः हमारे पास आ जाएगा। परन्तु हमें कृष्ण से मकान नहीं मांगना चाहिए। कृष्ण जब हमें देना चाहते हैं, तब दें। यदि मि. पेयन हमें अभी तक मकान दे सके तो बहुत अच्छा है। परन्तु परिस्थितियों से जान पड़ता है कि मि. पेयन किसी भी व्यापारी से आर्थिक मदद प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं। यदि कोई अच्छे कार्य के लिए दान दे, तो अलग बात है। तो हमें केवल कृष्ण की कृपा की प्रतीक्षा करनी चाहिए और कृष्ण की सेवा के लिए परिश्रम से कमाया गए धन को ऐसे जोखिम में नहीं डालना चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि तुम मुझे गलत नहीं समझोगे। पर तुम्हें और गर्गमुनि को कर्च-खातों के संबंध में अवश्य ही सावधान रहना चाहिए और ध्यान देना चाहिए कि ५० डॉलर से ऊपर के चेक लापरवाही से जारी न किए जाएं।
आशा करता हूँ कि तुम बिलकुल ठीक हो और जवाबी डाक द्वारा तुम्हारा समाचार जानकर मुझे हर्ष होगा। कृपया रायराम से कहो कि मुझे पत्र लिखे। मैं जानने को उत्सुक हूँ कि मि. इप्स्लेटिन के साथ उसकी कोई बात हुई या नहीं।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
(हस्ताक्षर रहित)
ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
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