HI/670330 - भक्तों को लिखित पत्र, सैन फ्रांसिस्को
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ इंक.
518 फ्रेड्रिक स्ट्रीट, सैन फ्रांसिस्को,कैलिफ़ 94117 टेलीफोन: 564-6670
आचार्य:स्वामी ए.सी. भक्तिवेदान्त
न्यासी:
लैरी बोगार्ट
जेम्स एस ग्रीन
कार्ल एयरगन्स
राफेल बालसम
रॉबर्ट लेफकोविट्ज़
रेमंड माराइस
स्टेनली मोगकोविट्ज़
माइकल ग्रांट
हार्वे कोहेन
30 मार्च, 1967
मेरे प्रिय भक्तों,
मैं जानता हूँ कि जिस प्रकार मुझे तुमसे विरह का अनुभव हो रहा है, वैसे ही तुम भी मुझसे विरह की अनुभूति कर रहे हो। परन्तु फिलहाल यह यूँ ही रहेगा और जबतक तुम हरे कृष्ण जप करते रहोगे, कृष्ण तुम्हारा निर्वाह करेंगे। मैं तुममे से प्रत्येक को देखना चाहता हूँ। इसलिए मैं मुकुन्द से कह रहा हूँ कि वह मेरी यात्राओं का प्रबन्ध करे, चूंकि यह सेवा अर्पण करने के लिए उसने स्वयं ही अपना नाम सुझाया है। यदि तुममे से कोई, किसी विशेष बात पर मुझसे चर्चा करनी चाहता हो, तो कृपया मुकुन्द से अपने लिए मेरे साथ कुछ समय ले लेना। मैं सदैव तुम्हारी सेवा के लिए तत्पर हूँ।
यदि तुम सर्वदा हरे कृष्ण का जप, मेरी पुस्तकों का पठन व इस दर्शन का प्रचार निष्काम भाव से करते रहोगे, तो कृष्ण तुम्हें सारी सुविधाएं मुहैया करवाएंगे और तुम भौतिक जटिलताओं मे आकर नहीं गिरोगे।
स्नेहपूर्वक
तुम्हारा शाश्वत शुभाकांक्षी,
(हस्ताक्षर)
- HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के पत्र
- HI/श्रील प्रभुपाद के सभी पत्र हिंदी में अनुवादित
- HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/1967-03 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका से
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका, सैंन फ्रांसिस्को से
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका, सैंन फ्रांसिस्को
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - भक्तों के समूहों को
- HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के पत्र - मूल पृष्ठों के स्कैन सहित
- HI/सभी हिंदी पृष्ठ