HI/670412 - जनार्दन को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क
अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
२६ पंथ, न्यूयॉर्क, एन.वाई. १०००३
टेलीफोन: ६७४-७४२८
आचार्य :स्वामी ए.सी. भक्तिवेदांत
समिति:
लैरी बोगार्ट
जेम्स एस. ग्रीन
कार्ल एयरगन्स
राफेल बालसम
रॉबर्ट लेफ्कोविट्ज़
रेमंड मराइस
माइकल ग्रांट
हार्वे कोहेन
अप्रैल १२,१९६७
मेरे प्रिय जनार्दन,
मैं अप्रैल १०,१९६७ के आपके बहुत लंबे पत्र की प्राप्ति में हूँ। उसी दिन मुझे आपकी पत्नी का पत्र भी मिला, जिसमें उन्होंने मुझे $ ३००.०० का भुगतान करने का अनुरोध किया, जो उन्होंने संस्था को ऋण में दी थी। मैंने एक बार रायराम के माध्यम से उन्हें पत्र का जवाब दिया कि पैसा, $ ३००, जो उनने संस्था को ऋण में दिया है, उसे वापस कर दिया जाना चाहिए, और मुझे खुशी है कि आप अगले सप्ताह चुकाने जा रहे हैं। यदि आप, हालांकि, उसे चुकाने में कोई कठिनाई पाते हैं, तो मुझे लिखें और मैं उसे $ ३०० भेजने का प्रबंधन करूंगा। बेशक, प्रबंधकों के लिए $ ३०० भेजना मुश्किल होगा, जबकि उन्हें $ ६,००० का नुकसान हुआ है। फिर भी, मैं आपकी पत्नी को उन पैसों के लिए परेशानी में नहीं डालना चाहता जो उनने ईमानदारी से संस्था को उधार दिए थे। तो कृपया मुझे बताएं कि आप उसको ऋण चुकाने जा रहे हैं। नहीं तो मैं उसको पैसे भेज दूंगा।
मैं समझ सकता हूं कि आपकी संस्था के नियमित खर्च-यानी $ ३५० को पूरा करने में कुछ कठिनाई है, जैसा कि आपने विस्तार से बताया है। मैंने सैन फ्रांसिसको में इस कठिनाई को स्वीकार किया जब आपने पहली बार मुझे मॉन्ट्रियल में एक शाखा खोलने की सूचना दी, और मैंने कठिन कार्य को हतोत्साहित किया। लेकिन तुम, तुम और कीर्तनानंद सभी उत्साहित थे।
अब जब आपने खोला है तो इसे बंद करना अच्छा नहीं है; यह संस्था के लिए अपयश होगा। सहकारिता द्वारा शाखा को जारी रखने का प्रयास करें। मैं समझ सकता हूं कि आप एक पारिवारिक व्यक्ति हैं। आप अपनी पूरी कमाई खर्च नहीं कर सकते, लेकिन जैसा कि आपकी पत्नी ने प्रस्तावित किया है कि वह आपको ५०% तक छूट दे सकती है। तो ५०% या किसी भी प्रतिशत आप आसानी से संस्था के लिए अतिरिक्त कर सकते हैं, हम स्वागत करेंगे। अतिशयोक्ति न करें। हम नहीं चाहते कि कोई भी अतिभाराक्रान्त हो। बल्कि मैं कीर्तनानंद, जो एक पारिवारिक व्यक्ति नहीं हैं, को पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए निवेदन करूँगा। तो उत्तेजित मत हो। शांति से कृष्ण भावनामृत को अग्रसर करें। एक बात मैं आपसे और आपकी पत्नी से निवेदन करूंगा: हमारी सभी पुस्तकों का फ्रेंच में अनुवाद करें। धन से अधिक आपकी बौद्धिक सेवा द्वारा संस्था आपके लिए बाध्य होगी, क्योंकि आप एक पारिवारिक व्यक्ति हैं और आपको धन की आवश्यकता है। मुझे उम्मीद है कि यह आपको संतुष्ट करेगा।
आपका नित्य शुभचिंतक,
ए.सी. भक्तिवेदांता स्वामी
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