HI/670414 - श्रीपाद नारायण महाराज को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क
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अप्रैल १४,१९६७
“श्री श्री गुरु गौरांगो जयथो:”
हवाई डाक द्वारा पंजीकृत डाक
अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
२६ पंथ, न्यूयॉर्क, एन.वाई. १०००३
टेलीफोन: ६७४-७४२८
आचार्य :स्वामी ए.सी. भक्तिवेदांत
समिति:
लैरी बोगार्ट
जेम्स एस. ग्रीन
कार्ल एयरगन्स
राफेल बालसम
रॉबर्ट लेफ्कोविट्ज़
रेमंड मराइस
माइकल ग्रांट
हार्वे कोहेन
श्रीपद नारायण महाराज,
मेरा दंडवत स्वीकार करें। मुझे समय पर ६.४.६७ पर आपके और विनोद कुमार के पत्र प्राप्त हुए। मैंने परसों पत्र पढ़ा था, और १२.४.६७ पर मैंने आपको तीन सौ डॉलर ३००x२७, २,२५० भेजे हैं, जो दो हजार दो सौ पचास रुपये हैं। पैसे प्राप्त होते ही मुझे सूचित करें। मैं आपको अपने पत्र के साथ अपनी दिल्ली और वृंदावन कमरे की चाबियां, और कुछ अन्य चाबियां भेज रहा हूं। मुझे अभी भी त्रिविक्रम महाराज का कोई पत्र नहीं मिला। आपने वृंदावन खाते में १५०० रुपये जमा किए थे। मैंने वृंदावन बैंक को २०० रुपये का चेक भेजा है। यदि त्रिविक्रम महाराज को चेक को नकद रूपए निकलना मुश्किल हो जाता है, तो उन्हें चेक के पीछे लिखकर बताएं, "बी.वी. नारायण महाराज को भुगतान किया गया," और आप इसे नकद कर सकते हैं। अगर उन्होंने मुझे चेक लौटाया होता, तो मैं उसे नकद रूपए करवा कर वापस भेज देता। वैसे भी, अगर उन्होंने चेक को नकद रूपए नहीं किया है, तो आप इसे लें और इसे नकद करें। वृंदावन में मेरे कुछ पैसे हैं जो मैंने खर्च नहीं किए हैं। इसलिए कुल २,२५०/- रुपये है, और २०० जमा करने हैं। पैसे इस प्रकार खर्च करें:
१ हारमोनियम | (अ) विवरण के अनुसार | ३५०/- रु | ||
१ हारमोनियम | (ब) विवरण के अनुसार | ५००/- रु | ||
१ सितार | (अ) विवरण के अनुसार | २५०/- रु | ||
१ सितार | (स) विवरण के अनुसार | २७५/- रु | ||
१३७५/- रु | ||||
१ तानपुरा | (अ) विवरण के अनुसार | २००/- रु | ||
१ तानपुरा | (स) विवरण के अनुसार | २५०/- रु | ||
२ मृदंगा | (तत्व टिन का बना होना चाहिए महाराजा त्रिविक्रम के विवरण के अनुसार) १९७५/- रु | |||
१० जोड़े अच्छे नवद्वीप के करताल के | १००/- रु | |||
२०७५/- रु | ||||
कुल राशि २४५०/- रु | ||||
२०७५/- रु | ||||
शेष राशि ३७५/- रु |
विनोद कुमार के लिए कोई गर्म कपड़े खरीदने की आवश्यकता नहीं है। यहां मेरे पास लगभग चार से पांच ओवरकोट और गर्म चादर आदि हैं, जहाज से यात्रा करते समय कोई बिस्तर लाने की आवश्यकता नहीं है। सबसे पहले, यहाँ गर्मी है। दूसरे वे जहाज पर कंबल, बिस्तर और सब कुछ प्रदान करेंगे।
ब्रह्मचारी और मैं यहां बहुत ही साधारण कपड़े का उपयोग करते हैं। मैं आपको यह दिखाने के लिए एक तस्वीर भेज रहा हूं कि मैं यहां कैसे रहता हूं। अमेरिकि ब्रह्मचारी के वस्त्र पहन रहें हैं और मुंडन करके शिखा रख रहे हैं। यदि भारत से एक ब्रह्मचारी एक अमेरिकी की तरह कपड़े पहनता है, तो उसे सराहना नहीं मिलेगी। तो विनोद कुमार को ब्रह्मचारी के रूप में आने के लिए कहें। यहां पर्याप्त ओवरकोट और गर्म कपड़े हैं। यदि आवश्यक हो, तो उसके लिए एक अच्छा कंबल और एक जोड़ी जूते (बिना चमड़े के बना हुआ) खरीदें। इसका मतलब है कि कलकत्ता की यात्रा सहित, उस पर १००/- रुपये से अधिक खर्च न करें। ३७५/- में से, यदि १००/- रुपये विनोद कुमार के लिए खर्च किए जाते हैं, तो २७५/- रु बचते हैं।
दिल्ली में सब कुछ संकुल करें, और इसे मालगाड़ी द्वारा हावड़ा स्टेशन पर मेरे यूनाइटेड शिपिंग कॉर्पोरेशन एजेंट (भाड़ा भुगतान आर/आर) के लिए भेजें। पंजीकृत पत्र एम/एस यूनाइटेड शिपिंग कॉर्पोरेशन १४/२, ओल्ड चाइना बाजार गली, कमरा क्रमांक १८, कलकत्ता के पते पर पंजी करें।
दिल्ली में अपने परिवहन के लिए, और अपने दो से चार दिन वहां रहने के लिए आवश्यक रूप से खर्च करें। एक सूची बनाने के बाद सभी पुस्तकों को संकुल करें, और ११ इस्पात के संदूक संकुल करें। इसका मतलब है संदूक को बंद करना, इसे ताला लगाना, इसके चारों ओर बोरियों को सिलाई करना, और इसे लोहे की पट्टियों के साथ ताला लगाना। प्रत्येक संकुल के शीर्ष पर ए.सी. भक्तिवेदांत, न्यूयॉर्क (हावड़ा के माध्यम से) लिखें। शिपिंग एजेंट आर/आर के लिए सभी सामानों की एक प्रति भेजें। आर/आर के साथ मुझे एक प्रति भेजें। यदि माल भेजने के लिए २७५/- रुपये पर्याप्त नहीं है, तो करताल को न खरीदें। फिर १००/- रु बचते है। इस तरह अगर सब कुछ आपकी देखरेख में किया जाए तो मुझे बहुत खुशी होगी। मुझे उम्मीद है कि आप इस तरह से मदद करके मुझे सर्वदा उपकृत करेंगे। कृपया मुझे मेरे मृदंग और करतालें भेजें जो वृंदावन में हैं।
वृंदावन में जो चाबी बची है वह रसोईघर की चाबी है। कमरे का दरवाजा खोलने के बाद आपको दीवार की अलमारी के दाईं ओर एक बड़ी कुंजी मिलेगी। उस चाबी से मेरे बैठने के कमरे का दरवाजा खोले। मेरे मृदंग और करताल उस कमरे में हैं। रसोई में भी करताल हैं। कृपया सरोजिनी से कमरा साफ करवा दें, और उसे एक रुपया दे दें। बैंक को गोस्वामी को प्रति माह ५ / - रुपये का भुगतान अपेक्षित है, लेकिन गोस्वामी ने मुझे कभी पत्र नहीं लिखा। यह पता लगाने की कोशिश करें कि क्या वह धनराशि प्राप्त कर रहे है, और जैसे ही आप यह पत्र प्राप्त करते हैं मुझे लिखकर मुझे खुश करें।
क्रपा प्रर्थी
(जो दया के लिए प्रार्थना करता है)
श्रील भक्तिवेदांत स्वामी
पुनश्च यदि संभव हो तो मुझे तिलक और अगरबत्ती भेज दें।
© गौड़ीय वेदांत प्रकाशन सीसी-बीवाय-एनडी
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