HI/670607 - लड़कों और हिमावती को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क
अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
२६ दूसरा एवेन्यू, न्यूयॉर्क, एन.वाई. १०००३
टेलीफोन: ६७४-७४२८
आचार्य:स्वामी ए.सी. भक्तिवेदांत
समिति:
लैरी बोगार्ट
जेम्स एस. ग्रीन
कार्ल इयरगन्स
राफेल बालसम
रॉबर्ट लेफ्कोविट्ज़
रेमंड मराइस
स्टैनले मॉस्कोविट्ज़
माइकल ग्रांट
हार्वे कोहेन
जून ७, १९६७
इस्कॉन
३७२० पार्क एवेन्यू
मॉन्ट्रियल १८, क्यूबेक
मेरे प्रिय लड़कों और हिमावती,
मुझे आपके पत्र विधिवत मिले गए हैं और यह मुझे इतना भाता है कि आप सभी कृष्ण चेतना में सच्ची आत्माएं हैं। मैं तेज़ी से स्वस्थ हो रहा हूं और कल मुझे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी, मैं न्यू जर्सी जाकर प्राकृतिक समुद्र के सामने, एक पखवाड़े के लिए, आराम करूँगा। कृष्ण चेतना का मूल सिद्धांत यह है कि हमें सभी को प्रभु के रूप में स्वीकार करके उन्हें [हस्तलिखित] भौतिक बीमारी स्थिति से मुक्त होने के लिए आहार के रूप में प्रसादम और औषधि के रूप में कृष्ण कीर्तन के साथ सेवा करनी चाहिए [हस्तलिखित]। इसलिए हम इस सिद्धांत का पालन करेंगे और कृष्ण हमें आगे बढ़ने के लिए हमारी मदद करेंगे।
आपका नित्य शुभचिंतक,
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
- HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के पत्र
- HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/1967-06 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका से
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका, न्यू यॉर्क से
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका, न्यू यॉर्क
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - भक्तों के समूहों को
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - हिमावती दासी को
- HI/1967 - श्रील प्रभुपाद के पत्र - मूल पृष्ठों के स्कैन सहित
- HI/श्रील प्रभुपाद के सभी पत्र हिंदी में अनुवादित
- HI/सभी हिंदी पृष्ठ