HI/671029 - कृष्ण देवी को लिखित पत्र, नवद्वीप
अक्टूबर २९, १९६७
मेरी प्रिय कृष्ण देवी,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। २० अक्टूबर को आपका पत्र पाकर मुझे बहुत खुशी हुई। मैं आपके पति के बारे में आपकी चिंता को समझ सकती हूं और निश्चिंत हूं कि मैं आपके पति को आपको छोड़ने की सलाह कभी नहीं दूंगा। आप दोनों बहुत अच्छी आत्माएं हैं और निरंतर भगवान की सेवा में लगे रहते हैं। जिसके घर में सहायक पत्नी हो उसे संन्यास ग्रहण करने की आवश्यकता नहीं होती। यदि आवश्यक हो, तो आप और आपके पति दोनों संयुक्त रूप से कृष्ण भावनामृत का प्रचार कर सकते हैं। हम कृष्ण भावनामृत के लिए अधिक चिंतित हैं और यदि वह कार्य पति-पत्नी के सहयोग से अधिक अच्छी तरह से निष्पादित किया जाता है, तो पत्नी को कृष्ण चेतना के लिए बाधा के रूप में सोचने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब तक मैं जीवित हूं तुम्हें मेरे निर्देशों के अनुसार कार्य करना चाहिए और बाधा का कोई सवाल ही नहीं है। आशा है कि आप अच्छे हैं।
आपका नित्य शुभचिंतक
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
नवंबर
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