HI/680212 - भक्तिजन को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस
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त्रिदंडी गोस्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
आचार्य: अन्तर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
कैंप: इस्कॉन राधा कृष्ण मंदिर
५३६४, डब्ल्यू. पिको बुलेवार्ड
लॉस एंजिल्स, कैलिफ़ोर्निया ९००१९
दिनांकित ...फरवरी...१२,..............१९६८..
मेरे प्रिय भक्तिजन,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं फरवरी १०, १९६८ के आपके पत्र को प्राप्त करके बहुत खुश हूँ, और मैंने विषय नोट कर ली है। माया का मजबूत हाथ अचूक है जैसा कि यह भगवद् गीता में कहा गया है। लेकिन अगर कोई दृढ़ता के साथ कृष्ण चेतना से चिपक जाता है, तो वह आसानी से जीत सकता है। मेरे निर्देश मैंने आपको पहले ही दे दिए हैं, कैसे माला जपें, और कैसे अपराधों से खुद को बचाएं। मैं आपको यह सलाह दूंगा कि आप हमेशा मंत्र का जप करते रहें, गिनती बढ़ाते हुए, आमतौर पर १६ माला निर्धारित होते हैं, लेकिन कुछ समय के लिए आप अन्य सभी गतिविधियों को रोक सकते हैं और जप को ६४ माला तक बढ़ा सकते हैं। नियम और विनियम का सख्ती से पालन करें। यदि आप मैथुन जीवन चाहते हैं, तो आप खुद की शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन माया के कुछ प्रतिनिधि के साथ अवैध संबंध ना करें। इससे आपको आध्यात्मिक उन्नति में मदद नहीं मिलेगी। हम मैथुन जीवन को मना नहीं करते हैं, लेकिन हम अवैध संबंध की अनुमति नहीं दे सकते। एक युवा व्यक्ति के लिए संग इच्छा को रोकना बहुत मुश्किल है, इसलिए उसके लिए सबसे अच्छी बात यह है कि वह खुद की शादी कर ले, और एक जिम्मेदार सज्जन की तरह जीवन व्यतीत करे। गैर जिम्मेदार आदमी भौतिक या आध्यात्मिक रूप से प्रगति नहीं कर सकता। आप बुद्धिमान युवक हैं, आप हमारे कहे अनुसार चीजों को समझ सकते हैं, और आप अनुसरण करें और लाभान्वित हों। गलतियाँ हम कर सकते हैं क्योंकि यह मानवीय गतिविधियों से बाहर नहीं है, लेकिन साथ ही, हमें अपनी अच्छी चेतना का उपयोग करना चाहिए कि अपने जीवन के लक्ष्य, कृष्ण, को कैसे प्राप्त करें। कृपया इस जप प्रक्रिया से, ईमानदारी से, बिना किसी अपराध के, चिपके रहें और आपके साथ सब कुछ ठीक रहेगा। मुझे याद करने के लिए एक बार फिर आपको धन्यवाद। आशा है कि आप अच्छे हैं।
आपका नित्य शुभचिंतक,
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
भक्तिजन ब्रह्मचर्य
इस्कॉन
२६ दूसरा एवेन्यू
न्यूयॉर्क, एन. वाई. १०००३
ध्यान दीजिये: कृपया अप्रैल १९६८ में मेरे न्यूयॉर्क आने तक ब्रह्मानंद की सहायता करने का प्रयास करें। जब मैं आपसे मिलूंगा तो मैं आपको एक विशिष्ट कर्तव्य प्रदान करूंगा और मुझे आशा है कि आप इसका निर्वहन करने में प्रसन्न होंगे। [हस्तलिखित]
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